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How To diagnosis Feeble Organ Pulse lung | फेफड़े सम्वन्धित व्याधि का सम्पूर्ण नाडी़ परीक्षण विधि |Ayurvedic pulse diagnosis in Hindi

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Feeble lung pulse को आयुर्वेद में कमजोर फुफ्फुस इस शब्द से संबोधन किया जाता है। इसे हिंदी में फेफड़े भी कहा जाता है।आयुर्वेद के मतानुसार फुफ्फुस यानी फेफड़े प्राण वायु का गमन स्थान है।जिसे हम प्राणवह स्रोतस् कह कर संवोधन करते हैं।Lung के कमजोर पड़ जाने से जो भी शरीर में व्याधि उत्पन्न होते हैं उसे आयुर्वेदिक तरीका से हम आसानी से परीक्षण कर सकते हैं।

आज हम फेफडों से संबंधित व्याधियों को नाड़ी परीक्षण के माध्यम से जानने का प्रयत्न करेंगे।

 और साथ में यह भी समझने का प्रयास करेंगे कि इस फूफ्फुस में जब कफ पित्त वात का नकारात्मक प्रभाव होता है तो किस प्रकार शरीर में अनेक प्रकार के व्याधि उत्पन्न करते हैं।

 कौन-कौन से व्याधि प्रमुख रूप से शरीर में दिखाई देता है और उन व्याधियों को हम किस तरह कफ पित्त और वात से जोड़कर देखेंगे साथ में इन सभी विषयों को हम कैसे नाड़ी परीक्षण के बदौलत डायग्नोज कर पाते हैं इस के संदर्भ में एक विस्तृत चर्चा इस पोस्ट के माध्यम से करेंगे।

 

Feeble Lung pulse

Under the index finger on the right side.

 

फेफड़ों से संबंधित सभी प्रकार के व्याधियों को जानने के लिए आपको नाड़ी परीक्षण के संदर्भ में कुछ चीजों का ध्यान देना होगा.

जब हमारा फेफड़ा दोषों से संक्रमित हो जाने के कारण बेहद कमजोर हो जाता हैं तो फेफड़ा खुद से संघर्ष करता हुआ हमें नाड़ी परीक्षण के दरमियान पता चलता है।

एक कमजोर और संक्रमित फेफड़ा में उर्जा की कमी होने के कारण रक्त वाहिनी के माध्यम से बहने वाली कमजोर तरंग को हम रोगी के बाएं हाथ में अपने तीन उंगली रखने के क्रम में तर्जनी उंगली के नीचे जन्म प्रकृति तक उंगली को दबाव देने से उस स्थान पर एक कमजोर पल्सेशन फेफड़ों से संबंधित व्याधि को प्रदर्शित करता है।

यहां पर यदि प्रॉक्सिमल कर्वेचर पर स्पाइक दिखे तो ऐसा समझना चाहिए कि रोगी का फेफड़ा कफ दोष के कारण से संक्रमित है यहां पर मिडिल कर्वेचर पर स्पाइक दिखे तो ऐसा समझना चाहिए कि रोगी का फेफड़ा पित्त दोष के कारण संक्रमित हुआ है।

यहां पर यदि डिस्टल कर्वेचर पर स्पाइक दिखे तो रोगी का फेफड़ा वात दोष के कारण से संक्रमित हुआ है ऐसा समझना चाहिए।

 

दोषों के आधार पर फेफड़े का व्याधि और उसका लक्षण।

 

यदि आपको यहां प्रॉक्सिमल कर्वेचर में स्पाइक दिखती है तो नीचे बताए गए व्याधियों को दिमाग में रखनी चाहिए या यह कह सकते हैं कि इनमें से कोई एक या दो व्याधि से रोगी पीड़ित हो सकता है ऐसा समझना चाहिए |

क्योंकि फेफड़े में अगर कफ का अधिक प्रभाव हो और कफ दोष से फेफड़ा संक्रमित हो तो इन व्याधियों को उत्पन्न करता है।

 

Colon pulse के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।

फेफड़े में कफ दोष से उत्पन्न होने वाली प्रमुख व्याधियां।

Pulmonary congestion

Hay fever

Upper respiratory congestion

Pneumonia with consolidation

Bronchitis

Asthma

Pleurisy

 

1.Pulmonary congestion

Pulmonary congestion यह फेफड़ों का एक गंभीर रोग है ।इसमें वायु मार्ग में रुकावट आने से व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। कई बार वायु मार्ग की सूजन,जलन के कारण होने वाली स्थिति को क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस कहते हैं। इसमे मरीज कुपोषण का शिकार भी हो सकता है।

2.Hay fever

यह सीजनल एलर्जी है। जिसके कारण आंखों में खुजली, पानी आना ,छींक आना जैसे समस्या होता है।

नाक बहना , आंखों का लाल होना,गिला और खुजली होना शामिल है।

3.Upper respiratory congestion

-ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण

बंद नाक और गले में खराश, नाक से अत्यधिक मवाद का निकलना, हल्का बुखार,नाक से उच्चारण करना,नाक की ऊपरी त्वचा का लाल होना, नाक बंद हो जाना, तालू पर लाल धब्बे होना, सांस लेते समय घबराहट की आवाज सुनाई देना यह सभी व्याधि upper respiratory condition मे होता होता।

4.Bronchitis-ब्रोंकाइटिस-

सांस के तंत्र में वायरस के संक्रमण के कारण यह समस्या होता है फेफड़ों तक सांस ले जाने वाले नालियों की अंदरूनी परत पर सूजन होता है स्वसन नालियों की एक बीमारी जिसके कारण बहुत बुरी तरह खांसी होती है और काफी सांस फूलने लगता है। Asthana-अस्थमा-

दमा के कारण सांस लेने में कठिनाई सीने में दर्द खांसी और सांस लेने में घर-घर आहट की आवाज आता है।

 

5.Pleurisy symptoms and diagnosis

फेफड़े के आवरण में सूजन के कारण सीने में दर्द सांस लेने में कठिनाई या सांस लेते वक्त सीने में दर्द होती है।

 

स्वतंत्र और परतंत्र  व्याधि के बारे में जाने

 

पित्त दोष से संक्रमित फेफड़े द्वारा उत्पन्न व्याधियों का नाम।

यदि फुफ्फुस में पित्त दोष का अत्यधिक प्रभाव हो तो जब आप रोगी के दाएं हाथ में नाड़ी परीक्षण करते हो तो अपने तर्जनी उंगली के नीचे जन्म प्रकृति तक जब दबाव देकर अपनी उंगली को लेकर के जाते हैं तो वहां पर एक कमजोर स्पाइक पीड़ित फेफड़ों के बारे में सूचना देता है। यदि यह स्पाइक आप की तर्जनी उंगली के मिडिल कर्वेचर पर महसूस हो तो यह पितृदोष से रोगी का फेफड़ा संक्रमित है ऐसा समझना चाहिए जब पितृदोष से फेफड़ा संक्रमित होता है तो नीचे दिए हुए व्याधियों को उत्पन्न करता है।

पित्त दोष द्वारा उत्पन्न व्याधियां

Bacterial infection

Tracheitis

Bronchitis

Bleeding in the lungs

Alveolitis

 

1.Bacterial infection:- वेक्टेरियल इंफेक्शन

इसके तहत कई प्रकार के बैक्टीरिया और वायरस के जिवाणु फेफड़े में पैदा होते हैं। इसके वजह से मवाद के साथ खांसी बुखार शरीर में ठंड लगना सांस लेने में कठिनाई होती है

 

2.Tracheitis ट्रेकाइटिस

-यह एक तरह के संक्रमण से पैदा होने वाला समस्या है। फेफड़े की झिल्ली मे संक्रमण के कारण सूजन उत्पन्न होता है।

3. Bronchitis-ब्रोंकाइटिस-

श्वास नली ब्रोंकी की दीवारें में होने वाली इंफेक्शन और सूजन  के वजह से अनावश्यक रूप में कमजोर हो जाती है।

 

inflammation symptoms in Hindi

इसमें फेफड़ों में सूजन होता है जिसके वजह से बहुत जल्दी थक जाना घर-घराहट की आवाज आना, सूखी खांसी ,सांस लेने में दिक्कत ,सीने में बेचैनी, जकड़न ,फेफड़ों में दर्द ,हवा लेने के लिए हाफ्ना

 

Bleeding in the long

फेफ्डे से खून निकलना :-पित्त दोष द्वारा अधिक संक्रमित फेफड़े रक्त भार अधिक बढ़ने की वजह से वहां के नसें फूट जाती है और फेफड़े में से खून निकलना शुरू होता है।

 

 Alveolitis एल्वोलिटिस

तीव्र या पुरानी फेफड़ों की सूजन के एक मामले के लिए एक सामान्य चिकित्सा शब्द है एल्वोलिटिस। यह तब होता है जब वायु के आंतरिक अस्तर फेफड़ों में वायुकोशीय होते हैं जो चिड़चिड़े और क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। परिणामी लक्षणों में सांस की तकलीफ, खांसी और समय के साथ खराब होने वाली थकान शामिल हो सकती है। स्थायी जटिलताओं या अचानक श्वसन विफलता जैसी बड़ी जटिलताओं को रोकने के लिए फेफड़ों की बीमारी के पहले लक्षणों पर शीघ्र निदान और उपचार की तलाश करना महत्वपूर्ण है।

फेफड़ों की वायु थैली की सूजन।

 

वात दोष  से प्रभावित फेफड़े से होने वाली व्याधियां।

Cold and Dry longs

Dry allergy

Respiratory allergy

Wheezing

Dry cough

Hoarseness  of voice

Emphysema

 

1.Cold and Dry longs

फेफडे का सुख जाना या ठंडा होना:- अपने रूक्ष, शीत,चल,लघु आदि गुणों से युक्त वायु जब बढ़ जाता है तो बढ़ते इन गुणों से फेफड़े को सुखाना शुरू करता है।  बढ़ते वायु के इस प्रभाव को हम रोगी के हाथ में अपनी तर्जनी उंगली से पता लगा सकते हैं।

 

2.Respiratory allergy

  हमारी श्वसन प्रणाली में किन्ही कारणों से होने वाली एलर्जी जिसके कारण होने वाली विशेष समस्या जिसे दमा रोग कहा जा सकता है।

 

5.Hoarseness  of voice

आवाज लंग्स की ऐसी बीमारी जहां धीरे धीरे फेफड़े के अंदर की दीवारों में हवा भरते हुए जाता है फलस्वरूप अंदरूनी दीवार क्षतिग्रस्त होकर फेफड़ा का कार्यक्षमता धीरे-धीरे नष्ट होते हुए जाता है फेफड़ा गुबारे की तरफ फूलने लग जाता है।

Emphysema

वातस्फीति एक फेफड़े की स्थिति है जो सांस की तकलीफ का कारण बनती है। वातस्फीति वाले लोगों में, फेफड़ों (एल्वियोली) में हवा की थैली क्षतिग्रस्त हो जाती है। समय के साथ, वायुकोशों की आंतरिक दीवारें कमजोर हो जाती हैं और टूट जाती हैं - कई छोटे स्थानों के बजाय बड़े वायु स्थान बनाते हैं। यह फेफड़ों के सतह क्षेत्र को कम करता है और बदले में, आपके रक्त प्रवाह तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम करता है।

 

फेफडे के लिए प्रयोग किया जाने वाला आयुर्वेदिक जड़ी बूटी।

बड़ी पिपली

पुनर्नवा

अभ्रक भस्मा-

कंटकारी-

तुलसी-

यष्टिमधु-

 

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