- Herbal Medicinal Plant
- 12 May, 2022
यह जनाब देते हैं देसी गाय का शुद्ध घी अपने एरिया में खूब नाम कमा चुके हैं
अगर हम आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से देखते हैं तो बकरी भेड़ भैंस ऊंटनी तथा दूसरे जानवरों के दूध भी पिने के लिए बताया गया है।
लेकिन कुछ खास अवसर पर...यह सभी जानवरों के दूध हमेशा हर व्यक्ति के लिए सफिशिएंट नहीं रहता मगर यदि वह गाय देसी हो घर में पली-बढ़ी हो हरा और ताजा घास खाकर रहती हो तो उसके घी वास्तव में बड़ी गुणकारी होती है। जंगल में स्वच्छंद होकर घास को खाने वाली गाय के दूध में और उस से बनने वाली घी में आनन्त पोषण तत्व होता है।
देसी घी के आयुर्वेदिक गुणधर्म।
गाय के घी को शीतल, पित्त और वात शामक, कफ वर्धक, शक्ति प्रदान करने वाला, बल वीर्य और बुद्धि को बढ़ाने वाला, मन में हर्ष और पवित्रता को बढ़ाने वाला बताया गया है।
किन किन रोगों में गाय के घी अच्छा काम करता है।
गुणों के आधार पर स्पष्ट है कि गाय का घी वैसे सभी रोगों में अच्छा होता है। रोग ग्रस्त व्यक्ति के लिए गाय का घी अति गुणकारी होता है।क्योंकि यह शरीर में ओज तेज बल पुष्टि और इंद्रियनिग्रहण शक्ति का स्थापन करता है।
आयुर्वेदिक गुण धर्म के आधार पर अक्सर वात और पित्त के वृद्धि होने पर देते हैं। रोगी में यदि निरंतर कब्ज का शिकायत रहता है तो भी देसी गाय का घी दिया जाना चाहिए। जिसने बचपन में अपनी मां का दूध सही तरह से पिया नहीं है उसको चाहिए कि वह शुद्ध गाय का घी ढूंढ कर निरंतर सेवन जरूर करें। उससे शरीर में मात्री दुग्ध के अभाव से होने वाली जो कमी है वह पूरा कर देता है।
घी को कब खाया जाना चाहिए खाली पेट या भोजन करने के बाद।
घी कफ कारक पदार्थ है शीतल है इसीलिए इसको पचाने के लिए हर किसी का शरीर हमेशा तैयार नहीं रहता व्यक्ति को अपने शरीर के पाचन शक्ति को हमेशा हर चीज को खाते वक्त देखना ही पड़ता है। मगर यदि अपने पाचन शक्ति को पहले सुधार कर देसी गाय का शुद्ध घी का सेवन करते हैं और उस व्यक्ति में किसी प्रकार का पूर्व समस्या नहीं है तो ऐसे व्यक्ति को भोजन के साथ देसी गाय का घी खाना चाहिए।
कब घी नहीं खानी चाहिए।
यदि किसी को अजीर्ण से संबंधित समस्या है या ग्रहणी रोग से पीड़ित है या अम्ल पित्त से ग्रसित है तो ऐसे समस्या में देसी गाय का घी डायरेक्टली नहीं खानी चाहिए। ऐसे रोगी को भी रोगी के दोषों के आधार पर घी में सेंधा नमक, काली मिर्च, सोंठ,पिपली आदी मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
बवासीर रोग में घी का प्रयोग कैसे करें।
मैं अक्सर अपने रोगियों को शुद्ध घी मे मूली के पत्ते को फ्राई करके बवासीर के रोगियों को खाने के लिए बोलता हूं। और इसमें अपूर्व लाभ रोगी को दिखता है।
खांसी में घी का प्रयोग करने का तरीका।
रोगी को यदि सूखी खांसी है तो टंकण भस्म, श्रृंग भस्म या कोई भी वात शामक इस तरह के दवाई में घी मिलाकर देने का प्रावधान है।
निसंतान दंपति के लिए घी प्रयोग विधि।
जो व्यक्ति निरंतर घी का सेवन करता है उस व्यक्ति में स्पर्म काउंट से संबंधित कोई समस्या कभी नहीं दिखता। देसी घी का सेवन करने वाले शरीर से हमेशा आरोग्य रहते हैं चाहे वह स्त्री हो या पुरुष हर किसी को अपने प्रकृति के अनुसार देसी घी का सेवन निरंतर करना चाहिए निसंतान दंपत्ति संतान न होने से परेशान है तो उन्हें रोज एक चम्मच भी आधा चम्मच शहद में 5mg स्वर्ण भस्म मिलाकर सेवन करना चाहिए इसके प्रभाव से निसंतान दंपत्ति संतान से युक्त होंगे।
पतंजलि घी के बारे में लोग क्या कहते हैं सुने.
Feedback of Patanjali cow ghee
मेरे आज तक के अनुभव से मैं बोल रहा हूं पतंजलि फार्मेसी के मैंने बहुत सारे प्रोडक्ट को प्रयोग करके देखा है बहुत सारे प्रोडक्ट में कुछ खामियां नजर आती है लेकिन पतंजलि गाय के घी में मुझे कोई खामियां नजर नहीं आती मैं बचपन से ही देसी घी खाने वाला व्यक्ति हूं इसीलिए शुद्ध देसी घी का स्वाद मुझे मालूम पड़ता है इस आधार पर पतंजलि के घी को में उत्तम क्वालिटी का घी मानता हूं।
पतंजलि और दूसरे फार्मेसी के घी में सबसे अच्छा किसका है.
एडवर्टाइजमेंट में कौन क्या बोलता है यदि इसके ऊपर ज्यादा गौर न किया जाए तो सभी ब्रांडेड कंपनियां अपने स्तर से भी को शुद्ध रखने का प्रयास करती है गाय के घी का उत्तम क्वालिटी क्या है अभी तक इसी में लोगों में कंफ्यूजन है कुछ लोग सफेद गाय का दूध उत्तम क्वालिटी का है ऐसा मानते हैं तो कुछ लोग हल्की पीला रंग वाला दूध उत्तम क्वालिटी का मानते हैं जब हम ग्वालों के यहां जाते हैं तो लोगों की तरह तरह के बातें सुनने को मिलती है।
तो वहां से पता चलता है कि समाज का सोच दूध के प्रति कितना बटा हुआ है। शायद समाज के इसी सोच के बंटवारे होने से फार्मेसी वालों के घी के क्वालिटी और उसकी खुशबू में परिवर्तन दिखती है। मैंने बचपन से जिस तरह की खुशबू वाली देसी घी को खाया है वह पतंजलि के साथ मैच करता है इसीलिए मुझे पतंजलि का ही घी अच्छा लगता है।
इसका मतलब यह भी नहीं कि दूसरी फार्मेसी का घी अच्छा नहीं है सभी अपने स्तर से घी की क्वालिटी को अच्छा रखने का प्रयत्न करते हैं।
देसी घी के लड्डू सर्दी में खाना चाहिए कि नहीं?
Desi ghi ke laddu
देसी गाय के घी से बना हुवा स्वादिष्ट लड्डू को कभी भी खाया जा सकता है। मगर यदि कफ प्रधान व्याधि है मधुमेह से ग्रस्त शरीर है और शरीर में ऊष्मा की अधिकता है तो देसी घी के लड्डू खाने से बचना चाहिए।
सर्दी के मौसम में अक्सर रात को भोजन करने के बाद एक लड्डू खाया जाना चाहिए लड्डू खाने के 2 घंटे तक अगर ना सोए तो अच्छा है।
क्या देसी घी में फैट होता है
Fat in desi ghee।
बहुधा एलोपैथिक डॉक्टर इस सवाल को जरूर उठाते हैं और अपने मरीजों को घी खाने के लिए मना करते हैं। दरअसल अगर कोई रोग ग्रस्त हैं तो ऐसे में भैंस का घी नहीं खाना चाहिए।
क्योंकि उसमें फैट ज्यादा होता है।और उस को पचाने मे असमर्थ शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। लेकिन गाय के घी में ऐसी कोई बात नहीं है।
गाय में इसी खास गुण के वजह से ही गाय को पूर्व समय से ही पूजने और गाय को माता का संज्ञा देने के पीछे का बड़ी कारण भी यही है।
की गाय के घी में एक खास गुण है जो किसी भी जानवर के ना तो दूध में है और ना ही दूध से बनने वाले घी में हैं। वह यह है कि दूसरे सभी जानवरों के घी में यह एक स्पेशल बात नहीं है जो गाय के घी में है।
और वह यह है कि दूसरे जानवरों के घी मैं अगर आप कोई चीज पकाते हो तो भीवह घी अपने स्वाभाविक गुणों को छोड़कर संबंधित पदार्थ के गुणों के साथ मिल जाता है और उसके गुणों के प्रभावों को दिखाना शुरू करता है। मगर गाय के घी में खास यही गुण है कि उसको आप किसी भी दूसरे गुण वाले पदार्थों के साथ पका लो जितना मर्जी उबाल लो गाय का घी अपना स्वाभाविक गुण कभी नहीं छोड़ती और संबंधित पदार्थ के गुणों को भी बढ़ाती है बस यही विशेष गुण सिर्फ देसी गाय के घी में ही उपलब्ध है।
इसीलिए देसी गाय को देवी,माता आदि बहुत सारे नामों से संबोधन किया हुआ है।
क्योंकि जिस प्रकार से मां के स्वभाव कभी भी किन्ही परिस्थितियों में अपनी संतान के लिए परिवर्तन नहीं होता चाहे लाख परिस्थितियां विषम हो जाए ऐसे ही गाय का घी भी अनेक गुण वाले पदार्थों के साथ मिलने के बावजूद भी अपने गुणों को नहीं खोता।
ऐसे में देसी गाय के घी में फैट होने का तो सवाल ही उत्पन्न नहीं होता यह कफ कारक जरूर है लेकिन सौम्य है।यह उस्मा को भी नियंत्रित करता है और सभी प्रकार के जहर को भी नष्ट करने का कार्य करता है इसीलिए गाय के घी को उत्तम माना गया है।
क्या कोलेस्ट्रोल देसी घी में होता है।
Cholesterol in desi ghee
बहुदा डॉक्टर सब कुछ जानते हुए भी रोगी को इसीलिए घी खाने को मना करते हैं क्योंकि अब रोगी जाने कहां से किस तरह का घी लेकर आएगा।
वह गाय का है भैंस का है उंट्नी का है बकरी का है कितना क्वालिटी वाला है बाजार में डुप्लीकेट अधिक मिलता है इन सारे झमेले मे कौन पड़ेगा। डॉक्टर रोगी को सीधा ही घी खाने के लिए मना कर देते है।
अगर हम कहेंगे देसी गाय का घी हो तो खा लो फिर सवाल उठेगा कि वह देसी गाय का घी कहां से ले आएगा ।
जानने वालों को तो पता है कि देसी गाय का घी कैसा होता है किस तरह का होता है तो यह सारे झमेला को पालने से अच्छा है सीधा ही घी खाने के लिए मना कर दो। ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरीःलेकिन दोस्तों गाय के घी में कोलेस्ट्रॉल को नष्ट करने की ताकत होती है।
क्योंकि गाय का घी साक्षात् अग्नि रूपा है इसको पचाने के लिए शरीर को कोई मेहनत नहीं करना पड़ता।
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