मिर्गी के रोगियों को परहेज के लिए इन विशेष बातों का खास ख्याल रखना होगा diet plan of epilepsy के विषय में यहां विस्तार से बताया जा रहा है। Mirgi ke liye diet plan के विषय में जानने के लिए सभी पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।
The epilepsy diet plan, also known as the ketogenic diet, is a high-fat, low-carbohydrate, and moderate-protein diet that has been shown to reduce the frequency and severity of seizures in people with epilepsy. The ketogenic diet works by inducing a state of ketosis in the body, where it burns fat instead of glucose for energy. This process produces ketones, which are believed to have anticonvulsant effects on the brain.
The epilepsy diet plan involves limiting carbohydrate intake to less than 50 grams per day while increasing fat intake to about 70% of total calories. Protein intake is moderate, with about 20% of total calories coming from protein. The diet typically includes foods such as meats, eggs, cheese, butter, nuts, seeds, and oils, while limiting carbohydrates from grains, fruits, and vegetables.
मिर्गी के रोगियों को diet plan और परहेज के लिए इन विशेष बातों का खास ख्याल रखना होगा
1. याद रखिए यह चार क्रियाएं एक ही दिन में एक साथ नहीं होनी चाहिए
(क) रात में जगना ( रात्रि जागरण)
(ख) चिंता मग्न रहना, या किसी से झगड़ा करके मानसिक रूप से परेशान रहना
(ग) रुखा भोजन जैसे फ्राइड चना, अंडा,चिकन, या कोई जो आग में जलाकर सुखाकर या ड्राई करके लंबे दिनों से रखा हुआ हो
(घ) पेट साफ ना होना या कहूं कब्ज हो जाना।
याद रखें यह चार घटना एक साथ भगवान करे कभी भी मिर्गी के रोगियों पर एक साथ एक ही दिन में ना होने पाए।
क्योंकि अगर यह सभी व्यवहार एक ही दिन में हो जाता है तो आप कहां से दवाई खाते हो और क्या कुछ करते हो यह कोई मायने ही नहीं रहता आपको 2 दिन के अंदर में मिर्गी के दौरा पड़ना निश्चित है।
इसीलिए प्रयास करें कि इनमें से कोई भी लक्षण शरीर में बनेही ना अगर वन भी गया तो प्रयास करना कि दिन में एक साथ ना हो जाए।
मिर्गी के रोगी को यह विशेष ख्याल रखना है कि यह 4 घटनाओं में से कोई एक भी स्वतंत्र रूप से ही मिर्गी का दौरा उत्पन्न करने में सक्षम रहता है। यदि चारों मिल जाए तो उस रोगी को कोई बचा नहीं सकता।
रोगी को हमेशा ऊपर बताए गए चार कारणों को ख्याल रखना होगा कभी भी प्रयास करें कि इनमें से कोई भी कारण शरीर में ना बने। वैसी व्यवहार ही ना हो जिससे इस प्रकार के कारण का सामना करना पडे
मान लीजिए कभी अनजाने में ऐसा कुछ हो गया तो क्या करें ?
कभी-कभी न चाहते हुए भी ऐसी सिचुएशन आ ही जाती है अब ऐसे कंडीशन में हमें क्या करना चाहिए तो इसका जवाब यह है कि बहुत कुछ सावधानी बरतने के बावजूद भी यदि इन कारणों का सामना करना पड़े तो आपको कुछ उपायों का पालन करना होगा जैसे:-
यदि किसी कारणवश मानसिक तनाव के चपेट में आ गए तो नाक में घी डालिए, सिर में शिरोधारा करिए,मेडिटेशन करिए, दूध से आंखों में तर्पण करिए या कोई शीतल द्रव्य विशेषकर दूध से हृदय में धार दीजिए। कुल मिलाकर मन शांत हो एसा कोई और क्रियाएं आपको मालूम है तो वह भी सब करिए लेकिन करिए जरुर।
शरीर में वायु बढ़ने से मिर्गी होता है यह तो पक्की बात है रात में जागना वह क्रिया है जिससे शरीर में ज्यादा वायु बढ़ता है इसीलिए मिर्गी के रोगियों को रात में जगने के लिए मना किया गया क्योंकि रात्रि जागरण से शरीर में dryness बहुत मात्रा में बढ़ जाता है।
यदि रात्रि जागरण हुआ है तो यह सबसे अधिक मिर्गी का दौरा होने का प्रमुख कारण है यदि रात्रि जागरण होता है तो इसके नकारात्मक प्रभाव को तोड़ने के लिए आपको कुछ चिकना पदार्थ जैसे दूध घी जो मेडिकेटेड हो का सेवन करना होगा।
मैंने देखा कि रात्रि जागरण के नकारात्मक प्रभाव को काटने के लिए अमलतास और मुलेठी के काढ़ा में एरंड का तेल डालकर रोगी को पिलाया जाए तो यह वायु के दूषित परिणामों को नष्ट करता है।
इसको लेने के बाद लूज मोशन होता है जो हृदय से ब्रेन की ओर जाने वाला या जाने की तैयारी करने वाला दूषित वायु को खींच कर यह द्रव्य मलद्वार की ओर लेकर जाता है यानी अनुलोमन कर्म करता है।
मान लीजिए दुर्भाग्यवश कभी रोगी अनजाने इन सभी नियमों का उल्लंघन कर देता है। वह भूल जाता है कि मुझे जो रोग है यह चार नियम उसके बेहद शत्रु है किसी कारण बस ऐसा हो जाता है तो उससे बचने के लिए सबसे सरल और सुरक्षित विधि यह है कि तुरंत रोगी को स्नेहन स्वेदन करा कर क्षीरबलादि तेल का मात्रा वस्ति देना चाहिए। क्योंकि वायु का मूल स्थान वस्ति स्थान है इन 4 नियमों का उल्लंघन करने का मतलब है कि अब पक्की बात है कि वायु अपने स्थान से उठकर आमाशय (क्रमश heart /liver/spleen/stomach/brain) की ओर जाने वाला है ऐसे में तुरंत रोगी को बात नाशक कर्म करा दिया जाए तो वायु स्वयं से प्रबल नहीं हो पाएगा। और यदि वस्ति भी देते हैं तो वायु अपने स्थान से अनुलोम हो जाएगा यानी ऊपर की ओर गति नहीं कर पाएगा।
इन चार खास नियमों का पालन विशेष रूप से करना तो है लेकिन उसके अलावा भी कुछ और भी है जो रह-रहकर वायु को बढ़ाने का काम करते हैं। वायु ही वह कारण है जिसके वजह से मिर्गी का दौरा रोगी में बार-बार आता है हालांकि कफ और पित्त यह दो दोष भी इसमें प्रमुखता से सहभागी होते हैं मगर प्रधान रूप से वात दोष मिर्गी का खास कारण है।
(क) diet plan of epilepsy रुक्ष,शीत,लघु भोजन (रुखा चीजें जो ठंडी हो और लघु हल्का गुण वाला हो) यह तीनों भी एक साथ नहीं मिलनी चाहिए। इन तीनों का तिकड़म भी रोगी को बहुत परेशान करता है यह वह गुण है जिसके कारण से वायु से संबंधित सभी रोगों में व्यक्ति को कष्ट देता है।
(ख) अत्यधिक हस्तमैथुन भी एक वह कारण है जिसके बाद ऊपर के दूसरे कारणों का संबंध हो जाए तो मिर्गी के रोगियों को तकलीफ देता है। स्त्रियों के संदर्भ में अत्यधिक रक्तस्राव के साथ ऊपर के लक्षण यदि मिल जाता है तो निश्चित उस स्त्री को कष्ट देने वाला होगा।
(ग) ऋतु (मौसम) परिवर्तन भी एक महत्वपूर्ण अवस्था रहता है जहां व्यक्ति को बड़ा सजग रहना पड़ता है जैसे गर्मी का मौसम समाप्त होने के बाद तुरंत जब सर्दी का समय शुरू होता है उस बीच में कई प्रकार के रोग शरीर में प्रवेश करते है आयुर्वेद उस वक्त अपना दिनचर्या और खानपान को सही रखने के लिए निर्देश देता है लेकिन यदि रोगी अनजाने या प्रमाद वश उन नियमों का पालन नहीं करता है तो भी मिर्गी के रोगी को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए ख्याल रखें ऋतु परीवर्तन में detoxify का प्रबंध होनी चाहिए।
मिर्गी रोगियों को हमेशा सामान्य भोजन करना जरूरी है वैसे भी हर किसी को अपना खान पीन समय के साथ ख्याल रखते हुए करना होता है लेकिन अगर कोई बीमार है तो उसको विशेष अपने आहार-विहार के प्रति सजग रहना ही पड़ता है।
आयुर्वेद में असात्म्य भोजन के विषय में बहुत जोर दिया गया है असात्म्य का मतलब होता है ऐसा भोजन जिसका निर्माण विधि में रस विर्य विकारादी नियमों का पालन नहीं किया गया है जैसे आजकल कोल्ड कॉफी का बड़ा प्रचलन है यहां कॉफी हमेशा गर्म होना चाहिए और आइसक्रीम हमेशा ठंडा होना चाहिए दोनों का सम्योग असात्म्य संयोग है। इसी प्रकार से दूध और नमक का योग, मछली और दूध एसे लाखों है जो आपसी संयोग होने पर जहर के समान कार्य करता है। आपको ख्याल रखना होगा कि आप जो कुछ भी खाएंगे वह इसी प्रकार के असात्म्य संयोग वाला ना हो ।
वैसे तो व्यायाम को अग्नि वर्धक और बलवर्धक के रूप में जाना जाता है मगर यदि रोगी कमजोर हो तो रोगी को व्यायाम भी लिमिटेड ही करना होगा लेकिन लिमिटेड व्यायाम करते हुए भी यदि ऊपर के चार कारणों का सेवन होता है तो यह भी रोगी को मिर्गी का दौरा आने का कारण हो सकता है।
रोगी को पानी में अत्यधिक तैरना, बहुत अधिक पैदल चलना,अधिक व्यायाम करना अत्यंत चिंता, शोक विशेष तौर पर त्यागना होगा क्योंकि यह सभी वह क्रियाएं हैं जिससे रोगी कमजोर पड़ जाता है और कमजोरी ही मिर्गी रोगियों के लिए अच्छी बात नहीं है।
इसके अलावा रोगी को व्रत रखना हाथी घोड़ा ऊंट आदि का सवारी करना मना किया जाता है।
ज्यादातर मिर्गी के रोगियों में किसी अन्य कारणों से दौरा बना हुआ रहता है लेकिन समय के अभाव में डॉक्टर रोगी से किन कारणों का परीक्षण नहीं कर पाते सर्वप्रथम नीचे दिए गए समस्याओं को ध्यान से पढ़िए यदि इनमें से कोई भी कारण रोगी के शरीर में जीवन में कभी भी उत्पन्न हुआ हो तो हो सकता है कि उसी कारण के फलस्वरूप आज मिर्गी का दौरा आ रहा है।
इस विषय में डॉक्टर से बात करें।
यह वह कारण है जिसकी वजह से किसी भी व्यक्ति को जीवन के किसी समय में मिर्गी का दौरा आ सकता है यदि इनमें से कोई भी कारण हो तो डॉक्टर से जरूर बात करें।
लंबे समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा एपिलेप्सी के ऊपर करते हुए मैं इस बात से आस्वस्थ हूं कि किसी भी दूसरे शारीरिक कारणों से मिर्गी का दौरा आ सकता है जैसे भूख ना लगना पेट साफ ना होना रात में नींद ना आना लीवर किडनी स्क्रीन जैसे किसी और दिन का कमजोर पड़ जाना आदि और भी बहुत ऐसे कारण है जिसके फलस्वरूप व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़ता है। जब तक सही विधि से इन सभी कारणों के ऊपर विमर्श नहीं होगा तब तक कोई व्यक्ति को ठीक नहीं किया जा सकता क्योंकि रोग परीक्षण ही चिकित्सा का सबसे बड़ा आधार है।
मैं नीचे कुछ रोगियों का feedback जिसको मैंने बात करते हुए रिकॉर्ड किया था रख रहा हूं इसको सुनिए इन सभी को एलोपैथिक डॉक्टर ने मिर्गी रोग कहकर डायग्नोज किया था लेकिन मेरे यहां आने के बाद इनका डायग्नोसिस कुछ और ही रोग का हुआ और जब मैंने उस रोग के ऊपर चिकित्सा किया तो मुझे सफलता प्राप्त हुआ।
मिर्गी ठीक होने से देखिए कैसे खुश है रोगी। click hare
इनका भी मिर्गी रोग मेरे ही दवाई से ठीक हुआ है। click hare
यह तो मुझे गारंटी मांग रहे थे click hare
ऐसे अनगिनत रोगी है जिनका लंबे समय से एलोपैथिक चिकित्सा के बावजूद मिर्गी रोग ठीक नहीं हो रहा था मगर अब वे सभी हमारे घरेलू आयुर्वेदिक दवाई के सेवन से ठीक हो चुके हैं।
हमारे यहां इस वक्त 100 में से 72% रोगी ठीक हो रहे हैं।
3 month treatment package amount - 6000/-
One month -2100/-
दवाइयों का सामान्य विवरण
1=नाक में डालने वाली दवाई=(क)तेल/(ख) powder
यह दवाई brain में स्थित सभी दूषित पदार्थों को बाहर निकालेगा जैसे brain में खून जमा हुआ हो, कीड़ा हो, white matter हो, undigested protein हो, blockage हो इन सभी को धीरे-धीरे यह बाहर निकालेगा।
2= मिर्गी नाशक पाउडर
यह रोगी के हिसाब से तैयार किया जाएगा इसका काम शरीर में वायु को control करना तथा संज्ञा वाही नाडीयों को बल देना होता है यह दवाई ब्रेन तक जाने वाली ब्लड को कंट्रोल रखता है। तथा नाडीयों को बल देता है।
यह powder शुभ दोपहर और शाम को रोगी के अनुसार दूध पानी या कोई अन्य वनस्पति के रस मिला कर दिया जाता है।
3=tablet no:-1
यह टेबलेट लीवर के ऊपर काम करता है । रोगी के शारीरिक स्वभाव के अनुसार इस दवाई का निर्धारण होता है यह दवाई लीवर द्वारा निकलने वाली पाचक रसों को उचित परिणाम में निकालने के लिए सहयोग करता है। यह दूध या पानी के साथ दिया जाता है यदि रोगी में कमजोरी अधिक है तो इसको दूध के साथ दिया जाता है।
4=tablet number 2:-
यह टेबलेट हृदय और मस्तिष्क के बीच में संचरण होने वाली रक्त के ऊपर काम करता है।
यह दवाई यदि रोगी को सूट कर गया तो महज एक ही महीने में 75% तक सुधार दिखाता है।
Note:-सभी रोगी के लिए दवाइयां पहले से fix नहीं होता है यह सिर्फ सामान्य जानकारी मात्र है!
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