अगर आप भी Nadi pariksha online course करना चाहते है तो आप हमारी online pulse diagnosis training ले सकते है। गुरु शिष्य परंपरागत नाड़ी परीक्षण विधि को आज तक दुनिया में दुर्लभ विद्या कहकर संबोधन किया जाता था। लेकिन पं. द्रोणाचार्य शास्त्री जी द्वारा संचालित इस व्यवस्था के बाद अब हर कोई इस विधि को Google meet के जरिए आसानी से समझ पा रहे हैं। यदि आप भी दुर्लभ कहे जाने वाले नाड़ी परीक्षण लगायत और भी ऐसी विद्या जो लुप्तप्राय हो चुका था को सीखना चाहते हैं तो तुरंत 86991 75212 मैं संपर्क करें। आने वाले समय में और भी इस तरह के दुर्लभ विषयों को इस www.Ayushyogi.com के अंतर्गत आप minimum सेवा शुल्क प्रदान करके आसानी से Pulse diagnosis Online Class द्वारा समझ पाएंगे।
03/5/22 nadi pariksha video
2.यथा विणागता तन्त्री सर्वान्न् रागान्प्रभाषते। तथा हस्तगता नाड़ी सर्वान्रोगान् प्रकाशते।।
3.करस्याङ्गुष्ठ मुले या धमनीरेडीयल आर्टिज जीवसाक्षीणी।
4.अंगुष्ठ मूलमधिपश्चिमभागमध्यम् नाडी प्रभंजन गतिं सततं परिक्षेत्।।
क)रावणकृत
ख)महर्षि कणाद
ग)शार्ङ्गधर संहिता
5.स्त्रीणां भिषगवामहस्ते वामेपादे च यत्न च।
शास्त्रेण सम्प्रदायेन तथा स्वानुभवेन च।।
स्त्री left hand पुरुष right
6.प्रात:कृतसमाचार:कृताचार:परिग्रहम्।
सुखासीन:सुखासीनं परिक्षार्थानुपाचरेत्।।
रेडीयल आर्टिज
. रोगक्रांत शरीरस्य स्थानान्यष्टौ परीक्षयेत्।
नाड़ी(प्राणवह स्रोतस) मूत्रं(किडनी+अपान) मलं(अन्नवह स्रोतस+अपान) जिह्वां(मध्य शरीर) शव्द(उदान+प्राण)स्पर्श(व्यान+भ्राजक+श्लेषक)दृगा(आलोचक पित्त+रंजक पित्त+)कृतिम्।।जाति+सम्प्रदाय+लुलालंगडा+कमजोर+दृढ शरीर+age+स्त्री पुरूष+शरीर का लम्वाग चौडाई
सवाल है कि नाडी देखने का प्रयोजन क्या है नाड़ी में क्या देखें
समदोषः(3) समाग्निश्च(13)समधातु (7)मलक्रियः ।
प्रसन्नात्मेन्द्रियमनः स्वस्थ इत्यभिधीयते ॥
( Nadi pariksha ) नाड़ी परीक्षा वर्ज्य वैद्य और रोगी दोनों के लिए-
- भोजन के तुरंत बाद
3-अधिक भूख और प्यास लगने पर
4-क्रोधातुर
5-शराब पीने के बाद
6-व्यायाम से थका हुआ शरीर
तो यह बिगड़ता क्यों है?
चिकित्सा षड्क्रियाकाल
संचयं च प्रकोपं च प्रसरं स्थान संस्रयम्।
व्यक्ति भेदं च यो वेत्ति दोषाणां स भवेद्भिषक्।।
स्वतन्त्र दोष संचय-आहार विहार जनित
परतन्त्र दोष संचय-परिस्थिति जनित
संचय विवेचना--
संचय लक्षण
वात-कोष्ठ का भारी पन,जकडाहट मालूम होना
पित्त- शरीर त्वचा नाखून आंख का पीला सा दिखना एवं धातु पाक की क्रिया में मंदता आना।
कफ- शरीर में गुरुता आलस्य रुप लक्षण होना
प्रकोपावस्था
वात- कोष्ठ मे पीडा, पेट में गुड़गुड़ाहट की आवाज
पित्त- प्यास लगना खट्टी डकार आना एवं शरीर में जलन होना
कफ- भोजन के प्रति द्वेष एवं जीमचलाना
प्रसरावस्था-
जिस प्रकार तालाब आदि में जल का अधिक संचय और वृद्धि को प्राप्त होने पर बांध को तोड़कर पानी चारों और वह कर दूसरे पानी से मिलने लग जाते हैं वैसे ही प्रकुपित दोषों की और भी वृद्धि होने पर वे अपनी मर्यादा तोड़ कर रक्त के साथ सारे शरीर में फैल जाते हैं।
वात- बिमार्ग गमन, आटोप( पेट में गुड गुडाहट)
पित्त-ओष(उष्णता की प्रतीति) चोष( चुभन कि सी वेदना,) शरीर में जलन, डकार आना
कफ- भोजन में अरुचि भोजन का ना पचना अंगसाद(थकावट)वोमाइटिंग टेंडेंसी
( स्थान संस्रय) दोषदुष्यसम्मुर्छणं च व्याधि
एवं प्रकुपिताःदोषाःतांस्तान् आगम्य तांस्तान् व्याधिन् जनयन्ति।रोगप्रभृतिन् तेषामेव मभिसन्निविष्टानां पूर्वरुप प्रादुर्भावः।
उक्त प्रकार से प्रभावित हुये दोष शरीर के भिन्न-भिन्न प्रदेशों में पहुंचकर जहां कमजोर स्थान होगा वहां रोग उत्पन्न करते हैं।
कुपितानां हि दोषाणां शरीरे परिधावताम्।
यत्र संगः खवैगुण्याद् व्याधिस्तत्रोपजायते।।सु.सू.24.10
क्षिप्यमाणःखवैगुण्याद् रसः सज्जति यत्र सः।
करोति विकृतिं तत्र खे बर्षमिव तोयदः।। च.
रस धातु व्यान वायु की क्रिया से परी भ्रमण करता हुआ जहां श्रोतसों की विकृति से रुक जाती है वहीं पर विकार उत्पन्न हो जाता है जिस प्रकार गमन करते हुए मेघ जिस स्थान पर रुक जाते हैं वहीं पर वर्षा होती है।
ब्यक्तावस्था-रोगोत्पत्ति काल
तदेव ब्यक्ततां यातं रुपमित्यभिधियते।
स्थान संश्रय मे जो अव्यक्त अवस्था मे रोग था यहां वह व्यक्त अवस्था में स्पष्ट हो जाता है।
भेदावस्था=
यहां अब रोग व्यक्त अवस्था में दिखने लगता है दोष वृद्धि की यह अंतिम अवस्था है।
. कलाई में हाथ रखने का गलत तरीका
.रोगी की पहचान
. रोगी के दोनों हाथ पकड़ लो दोनों लोग अपने अपने आंख को बंद करो.
रोगी के हाथ ठंडा लगे तो यह समझ लो कि रोगी आप पर विश्वास नहीं कर रहा है।
यहां रोगी का हाथ गर्म होनी चाहिए।
दोषों का गुण और स्वभाव
वातः
रुक्षः Dry रूखापन,(बातकर,कफ हर) काठिन्य कर, बल वर्ण वृंहण नासक, स्तम्भन,खर, (शोषण कर्म) वायु अग्नि) कॉन्स्टिपेशन, ड्राई हेयर,(जौ का आंटा खानेसे)
शीतो -हाथ पैर ठंडा रहना,(जल महाभूत)(वा.क.नासक पित्तग्घ्न)कार्य-स्तम्भन, मूर्छा, तृषा दाह,स्वेद,नासन,(चंदन)
लघुः हल्कापन. (वायु आकाश अग्नि महाभूत)वात कर,कफहर,लंघन कर्म कर्ता, विशेष कर्म उत्साह, स्फूर्ति,मलक्षय,अतृप्ति,दौर्वल्य,कृषता,ब्रणरोपण,लघुपाक,लाजा,मुंग दाल,
सूक्ष्म-अव्यक्त,छोटापन, (अग्नि वायु आकाश)वातकर,फैलाव(मद्यपान)
व्यक्तकर्मा-सन्देश वाहक है।पैर के दर्द व्रेन मे पौचाना।
श्चलोथ-गति कारक चलायमान,
विशदःस्वच्छ,उज्वल,निर्मल, (पृथ्वी, वायु अग्नि आकाश) वात कर,(क्षालन करना)क्लेद षोशण,व्रणरोपण,-जैसे-निम्वक्षार,
खरः।खुरदरा,रुखा,(वायु महाभूत)वात बर्धक, लेखन,गोमूत्र, शंख भष्म,जवाखार,
चरक
गति गंधनयोः- संवेदना वाहक है बात
योगवाह परंवायुःसंयोगादुभयार्थ कृत्
दाहकृत तेजसायुक्त सितकृत् सोमसंस्रयात।।
वात दोष वृद्धि का लक्षण
V.. बाणी में दीनता, बेमतलब और बेसुरा बात करना,गात्रस्फुरण,चंचलता, गर्म चीजों की इच्छा रखना, निद्रानाश,अल्प बल,दर्द,हड्डियों मे ढिलापन,अंगों मे ढंडाहट, पंखे की हवा से तकलीफ,कब्ज होना, त्वचा मे फिकापन, डिप्रेशन,ब्लड प्रेशर लो।
पित्त
सस्नेह - स्नेह कर्म=पसिना निकलने की कृया,चिक्ना पदार्थ, जल महाभूत,वातहर,कफकर,क्लेदन,स्नेहमार्दवकर,बल्य,
बर्ण्य,वाजीकर,(घृतादी)
मुष्णं -गर्म, अग्नि महाभूत,बात,कफहर,पित्तकर,स्वेदन, मूर्छा,तृषा, जलन, पसीना निकलना, पाचन,रसरक्त ादी प्रवर्तक,(चित्रक)
तीक्ष्णं -तेज, अग्नि महाभूत, कफहर,पित्त कर,शोधन कर्म,दाहपाकस्रावकर,लेखन,जयपाल etc..
च द्रवम-तरल
मम्लं=खट्टा
सरं -खिसकना,फैलना- लिकोडर्मा,एग्जिमा या (शितपित्त)
कटु -तिखा मिर्च।विदग्धंचाम्लमेव च.
सत्वगुणोत्तरम्।
प्राकृत रंग ( नीला या पीला) विकृत रंग- (हरा)
पित्त दोष वृद्धि
.थकावट, अनिद्रा, शरीर मे जलन,गर्मी लगना, पसीना की अधिकता, अंगों से दुर्गंध आना, गुस्सा, बेहोशी, भ्रम,मुंह का कड़वाहट, पेशाब में जलन, ठंडी चीजों का चाह करना, तेल में तले पदार्थ खाने से परेशानी होना
-----------------------------
कफ
गुरु- भारी heaviness पृथ्वी+ जल,k कर,v हर,वृंहण,(गौरव,उपलेप,वल,तृप्ति, गुरुपाक)
शीत- ठंडा,जलमहाभूत,v.k कर,p.हर,स्तम्भन कार्य, मूर्छा,त्रिषा,दाहनाशक,
मृदु=soft
स्निग्ध oily
मधुर मिठा
स्थिर-stable
पिच्छलाः
श्लक्षण-smooth(क्ले हार्दिक खेल्ने लेकर आता था वैसा।)
मधुर स्त्व अविदग्धःस्याद्।
विदग्धो लवणस्मृतः
मृत्स्नः रलाहुवा ,किचड,उगलीमे चिपकनेवाला,
स्थरः कफः
तमोगुणाधिकः
कफ दोष वृद्धि
हमेशा सुस्ती रहना, शरीर में भारीपन, मल मूत्र और पसीने में चिपचिपाहट, आंख नाक से गंदगी का निकलना,शरीर में ढीलापन ,जिह्वा में सफेद परत जमना जुखाम नजला होते रहना, नींद ज्यादा आना,आइसक्रीम खाने से हानि होना, ब्लड प्रेशर हाई रहना
पित्त पंगुकफ पंगु पंगवमलधातवः।
वायुना यत्रनियन्ते तत्रगच्छन्ति मेघवत।।
अगर आपको Nadi pariksha online course से सम्बन्धित कोई और जानकारी चाहिए तो आप हमारे pulse diagnosis एक्सपर्ट से इस नंबर पर फ़ोन करके सलाह +91 86991-75212 ले सकते है।
Explore an in-depth research paper on A…
Telepathy क्या होता है इस विषय में अधिक…
Top-Rated Ayurveda Doctor Near Me in Ja…
यदि आप भी भारत सरकार Skill India nsdc द…
Ayurveda Marma therapy is for balancing…
Panchakarma treatment के विषय में आज हम…
Non-BAMS students who have been working…
Ayurveda Beginners को आयुर्वेदिक विषय स…
Blood pressure जड् से खत्म होगा यदि आप …
Ayurveda online course के बारे में सोच …
Nadi Vaidya बनकर समाज में नाड़ी परीक्षण…
tapyadi loha : ताप्यादि लोह मेरा सबसे प…
Bnys (bachelor of naturopathy and yogic…
Semicarpol या Semecarpus anacardium इस …
Explore the pulse diagnosis devic…
Sinusitis is a condition in which there…
At [Ayushyogi], we believe in the trans…
मिर्गी के रोगियों को परहेज के लिए इन वि…
चरक संहिता के अनुसार आयुर्वेदिक आवरण के…
Pitta Dosa is a term used in Ayurveda t…
Epilepsy is a chronic neurological diso…
Nadi pariksha:-Guru Dronacharya ji, who…
Easy way to understand Ayurvedic slokas…
alopecia areata treatment in Hindi इन्द…
100 Epilepsy patient के ऊपर आयुर्वेदिक …
how nature affects herbs: deep relation…
If a Yoga teacher also studies Ayurveda…
Dashmularishta के अनेक फायदे आपने जरूर …
Ayurveda online course for beginners. A…
there are three doshas, Kapha, Pitta, a…
Nabaz Dekhne ka Tarika सीखने के लिए आपक…
Ayurvedic Dietician की मांग दुनिया में …
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को हिंदू धर्मावलं…
Indian Famous Nadi Vaidya was asked abo…
Medical astrology online course:- Do yo…
Nadi vaidya Certificate Course in Nepal…
Epilepsy Treatment संभव है। Epilepsy जि…
Mirgi ka dora:-अपस्मार चिकित्सा विधि &b…
Prakriti pariksha आयुर्वेद का महत्वपूर्…
CCAT Course (Certificate course in Ayur…
Rakta Mokshan:- Rakta mokshna चिकि…
50th,Charakokta Mahakashaya Articles 50…
Advance Nadi Pariksha Course सीखने के इ…
Diabetes Mellitus मधुमेह और प्रमेह क्या…
सभी रोगों का नामाकरण करना सम्भव नहीं हो…
Pulse diagnosis course:-To learn …
About:- pulse diagnosis course:- p…
Swedopag mahakashaya स्…
स्नेहोपग महाकषाय 50 महाकषाय मध्ये सवसे …
Dhatu Bikar विकारो धातुवैषम्यम्: &…
Shukrajanan Mahakasaya शुक्र…
Stanyajanana Rasayanam चरक संहिता…
Vishaghna Mahakashaya:- विषघ्न महाकषाय …
50th'Charak Mahakasaya;- इस आर्टिकल…
Kanthya Mahakashaya:- कण्ठ्य महाकषाय क्…
What is Balya Mahakashaya:-बल्य महाकषाय…
Deepaniya Mahakashaya:- दीपनीय महाकषाय …
Doot Nadi Pariksha दूत नाड़ी परीक्षण वि…
Sandhaniya Mahakashaya संधानीय महाकषाय,…
Bhedaneeya mahakasaya भेदनीय महाकषाय ले…
मिर्गी का अचूक इलाज के साथ Mirgi ke tot…
Lekhaniya Mahakashaya कफ के परमाणुओं को…
bruhaniya Mahakashaya कुपोषण नाशक मांस …
Jivniya Mahakashaya जीवनीय महाकाय …
Nadi parikcha Book Pdf: pulse dia…
Mirgi ka ilaj आयुर्वेद से करें।ऑपरेशन भ…
Panchkarm Vamana therapy आयुर्वेदिक चिक…
Indigestion Causes समय से पहले भोज…
Nadi Pariksha course:- Ayushyogi …
आइए rabies क्या है | इसका कारण लक…
Diploma in Naturopathy and Yogic Scienc…
Vedic Medical astrology द्वारा हम कैसे …
Feeble lung pulse को आयुर्वेद में कमजोर…
जब हम किसी सद्गुरु के चरणों में सरणापन…
New born baby massage oil बनाने और अलग-…
mirgi ke rogi: मिर्गी के रोगियों क…
अगस्ति या अगस्त्य (वैज्ञानिक नाम: Sesba…
भोजन के चरण बद्ध पाचन के लिए जो क्रम आय…
malkangani क्या है:- what is jyot…
अपने हेतुओं से उत्पन्न दोष या व्याधि को…
चरक संहिता को महर्षि चरक ने संस्कृत भा…
Mirgi की आयुर्वेदिक दवा के रूप में प्…
आरोग्यवर्धिनी वटी: मांसवह स्रोतस और मेद…
Sitopaladi वात वाहिनी नाड़ियों पर…
अगर हम आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से दे…
Introduction
यदि चिकित्सक के पास…