mirgi ke rogi: मिर्गी के रोगियों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहीए यह बात सभी मिर्गी के रोगियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
मिर्गी रोगियों को यह बात भली-भांति समझना चाहिए की कोई भी जितना मर्जी मिर्गी रोग के सटीक इलाज का दावा करें परंतु मिर्गी के रोगी पूर्णतया तभी सफलतापूर्वक ठीक होंगे जब वह इन बताए गए आयुर्वेदिक जीवन शैली का अनुपालन करेगें।
मिर्गी यह न केवल शारीरिक बल्कि एक तरह से मानसिक व्याधि भी है कोई भी चिकित्सा शारीरिक व्याधि के ऊपर तो पूर्णतया काम करता है मगर मानसिक व्याधि का इलाज करने के लिए खाने वाली दवाई ही मात्र पर्याप्त नहीं होता इसलिए यह पोस्ट आप सभी मिर्गी रोग से ग्रसित व्यक्तियों के लिए लिखा गया है..
आप सभी मिर्गी रोग से ग्रसित व्यक्तियों को यह बात गांठ मार लेनी चाहिए कि मिर्गी एक जन्मजात व्याधि है यह पूर्णतया कभी भी ठीक नहीं होता लेकिन नीचे दिए गए व्यवस्था के साथ अगर आप जीना सीखेंगे तो जीवन में कभी मिर्गी का दौरा भी नहीं आएगा यह पक्की बात है।
अब आपके मन में एक बात आएगा कि भाई मुझे तो अभी-अभी मिर्गी का दौरा पड़ना शुरू हुआ है तो मेरा यह रोग जन्मजात कैसे हो गया इसका जवाब आयुर्वेदिक ग्रंथ में मिलता है।
जिस प्रकार एक पुरुष का जब जन्म होता है तो 12-13 वर्ष तक दाढ़ी और मूंछ नहीं आते क्योंकि दाढ़ी मूछ को उगाने वाली जो हारमोंस है वह उतने उम्र तक डीएक्टिवेट होकर के शरीर में पड़ा रहता है जैसे ही उम्र का वह पड़ाव तक शरीर पहुंच जाता है तो अपने आप वह हार्मोन एक्टिव हो जाता है| और दाढ़ी मूछ निकालना शुरू करता है लेकिन दाढ़ी और मूंछ निकालने वाली कोशिकाओं में अगर कोई विकृति होगा तो वह विकृति आपको तभी दिखाई देगा जब दाढ़ी मूछ के हार्मोन एक्टिव होंगे।
मैंने मिर्गी के अनंत मरीजों को देखा है बहुत लोगों को चिकित्सा दिया हूं इस आधार पर मैं आश्वस्त हूं और आयुर्वेदिक ग्रंथ के अध्ययन से मैं इस बात को समझता हूं कि हमारे मस्तिष्क में बहुत सारी ऐसी कोशिकाएं हैं जो जन्म के वक्त एक साथ एक्टिव नहीं होते समय के साथ धीरे-धीरे शरीर के बढ़ते क्रम में जब-जब जिस कोशिका को एक्टिव होने की जरूरत होति है तब तब वह कोशिका एक्टिव होता है इसी क्रम में यदि मस्तिष्क का कोई एक हिस्सा कमजोर होगा और उस हिस्से का जीवन के जिस पड़ाव में एक्टिव होने का समय होता है उस वक्त उस कोशिका से संबंधित कार्यों में विकृति उत्पन्न हो जाएगी। यही कारण है कि आपका मिर्गी का कारण जन्मजात होने के बावजूद भी जन्म से ही आप मिर्गी रोग से ग्रसित नहीं हो।
इस पोस्ट में हम मिर्गी रोगियों का शारीरिक लक्षणों के आधार पर आयुर्वेदिक दिनचर्या के ऊपर बात करेंगे..
यदि रोगी का मन चंचल रहता है, शरीर पतला है,उदास रहता है, चिंता मग्न रहता है ,रात में नींद ना आना, दौरा आने के बाद शरीर में दर्द के साथ सिर के पिछले हिस्से में दर्द होता है, दिल में घबराहट होना दिल फड़कना या शरीर के किसी हिस्से में नाडीयां फड़कना और शरीर थका थका सा लगना। अक्सर दिल धड़कता है,भूख अधिक लगती है। सुबह पेट साफ नहीं होता कब्ज के कारण पेट में मरोड़ भी होता है। जिह्वा को देखे तो जीभ सुखा हुवा दरार युक्त हल्का नीला या काला वर्ण युक्त होता है।
दौरा आने से पहले शरीर में कंपन होना, दांत किटकिटाना, मुंह से फेन निकलना, लंबा-लंबा स्वास खिंचना, यह लक्षण वायु के बिगड़ने से होने वाली मिर्गी का है । इसे petitmal Epilepsy कहते हैं।
ऊपर के लक्षण यदि रोगी में दिखता है तो यह वायु के बढ़ने से होने वाली व्याधि है ऐसा समझना चाहिए। जब वायु बढ़ता है तो शरीर में रूखापन बढ़ने लगता है। इसीलिए मिर्गी के ऐसे रोगियों को हमेशा तिल का तेल दूध में डालकर गरमागरम पिलाना चाहिए। क्योंकि तेल वायु के रुक्ष गुणों को खत्म करता है।
यदि इस तरह का लक्षण से ग्रसित रोगी है तो नीचे दिए गए आहार-विहार को अपनाना चाहिए।
. सर्वप्रथम सुबह जल्दी उठे
. प्राणायाम और मेडिटेशन करें
क्योंकि यह लक्षण वात प्रधान है इसीलिए वात शामक फल का सेवन करें जैसे।।
. अनार ,सेब,पपीता आदि
सुबह का भोजन 10:00 से 12:00 के बीच में जरूर करें रात का भोजन 7:00 से 8:00 के बीच में जरूर करें।
यदि आपके घर में मिर्गी का मरीज है तो यह अवधारणा जायज है की भोजन में कौन सा सब्जी का प्रयोग हानिकारक हो सकता है।
लेकिन मिर्गी रोग अनेक कारणों से हो सकता है अलग-अलग रोगी का अपना अपना मिर्गी होने से संबंधित कारणों का इतिहास है इसीलिए यह बताना कठिन है कि सभी को एक ही तरह का परहेज होना चाहिए मगर ज्यादातर मूंग और मसूर के दाल के अलावा दूसरा दाल सभी तरह के लक्षण वाले रोगियों के लिए हानिकारक है।
क्योंकि मूंग और मसूर जो दाल है वह ठंडा तो है मगर भारी नहीं है इसके अलावा सभी दाल ठंडा होने के साथ-साथ पचने में भारी होता है इसी कारण से किसी भी तरह के रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए मूंग और मसूर के अलावा दूसरे दाल हानिकारक होते हैं।
मिर्गी रोगियों को पालक का साग भी ज्यादा सेवन नहीं करनी चाहिए मगर बथुआ के साग मूली का साग सहजन का सागर यह तीनों को अपने भोजन में ज्यादा इस्तेमाल करना है।
बासी भोजन, फ्रिज में रखे गए पदार्थ का यदि आप त्याग करते हो और यदि ताजा बनाया हुवा भोजन का सेवन करते हैं तो यह आपके लिए अच्छा है।
वात दोष से संबंधित इस प्रकार के लक्षण वाले रोगी को सप्ताह में 1 दिन शरीर का अच्छी प्रकार से तेल लगाकर मसाज करनी चाहिए । ऐसे रोगियों को प्रतिदिन रात को सोते वक्त एक कप गर्म दूध में दो चम्मच एरंड का तेल डालकर पिला लेनी चाहिए। या इससे बेहतर यह रहेगा कि सर्वप्रथम आप एरंड के तेल को अच्छी प्रकार से गर्म करें उसके बाद आग को बंद करके उसमें हरण का पाउडर मिला दे हरड़ उतना डालना है जितने से चवनप्राश जैसे गिला बने और रोज रात को एक चम्मच इस पेस्ट को चाट कर ऊपर से गर्म पानी पी ले स्वाद के लिए यह गुड़ भी मिलाया जा सकता है। क्योंकि इससे दूसरे दिन सुबह अच्छी प्रकार से पेट साफ हो जाता है।
सुबह उठने के बाद सोंठ काली मिर्च दालचीनी तेजपत्ता हिंग डालकर पकाया हुआ तिलों का तेल दो चम्मच एक कप गर्म पानी में डाल कर पिलाना चाहिए यह तेल रोगी के शरीर में वायु के प्रभाव को नष्ट करता है।
ऐसे रोगी को समय-समय पर सुबह या शाम भोजन के समय में बकरे के मांस का शुप पिलाना चाहिए।
सर्वप्रथम एक कढ़ाई में पानी डालें उसमें काली तिल, शोंठ, अजवाइन, लॉन्ग, इलायची, दालचीनी ,पिपली ,पीपला मूल, तेजपत्ता, थोड़ा सा हरी मूंग का पिसी हुई दाल ,कौंच, अश्वगंधा, पर्याप्त तिल का तेल डाले यहां स्वाद अनुसार सेंधा नमक थोड़ा सा हल्दी, जीरा डालें इसके ऊपर बकरे का मांस को डालें ढक्कन लगाकर काफी देर तक उबलने दें मांस अच्छी तरह से पक जाए तो इसको मसल कर छानले और इस रस को रोगी को पिलाएं इसको मांस रस बोलते हैं| इसके सेवन से शरीर में नई ऊर्जा का विकास होता है| मस्तिष्क को बल मिलता है| शरीर में नई ताकत का संचार होता है| और मिर्गी जिन कारणों से होती है उस कारण को नष्ट करने में विशेष सहयोगी होता है।
रोगी को हमेशा प्रसन्न रहने का प्रयास करना चाहिए कभी कभी गर्म पानी से शिरोधारा करना भी उत्तम होता है।
वात दोष से ग्रसित व्यक्ति को जब दौरा आता है तो दौरे के वक्त में उसके हाथ और पैर में गर्म पानी में गीला किया हुवा तौलिया को लपेटना चाहिए।
दौरा खत्म होने के तुरंत बाद रोगी को शोंठ अजवाइन तिल का तेल दालचीनी डालकर उबाला हुआ पानी को पिलाना चाहिए।
यदि बार-बार दौरा आ रहा है तो कुछ लूज मोशन करने वाली आयुर्वेदिक या एलोपैथिक दवाई देना चाहिए| हमेशा यहां मिर्गी का दौरा इसीलिए उठता है क्योंकि इस वक्त उदान वायु और प्राणवायु तेज गति से रोगी के मस्तिष्क पर वायु को धक्का मार रहा होता है| ऐसे में लूज मोशन वाली दवाई ऊपर गती करने वाले वायु को नीचे की ओर खींचने में सहयोग करता है।
हमारे ayushyogi संस्थान से प्राप्त मिर्गी नाशक आयुर्वेदिक दवाइयों के सेवन करते हुए आपको महा कल्याण चूर्ण का हर रोज सेवन करना चाहिए।
पिपली, पिपली मूल ,चव्य, सोंठ, काली मिर्च, हरड़, बहेड़ा, आंवला, विड्नमक ,सेंधानमक, वायविडंग, करंज, अजवाइन, धनिया, जीरा।
आपको पंसारी की दुकान में जाइए ऊपर लिखे गए सभी औषधियों को बरोबर मात्रा में खरीद कर लाइए सभी को अलग-अलग पाउडर बनाकर मिला लीजिए रोज हर रात को दो चम्मच इस मिक्स पाउडर को एक गिलास पानी में डालना है दूसरे दिन सुबह उसको उबालना है जब आधा गिलास तक बचे तो छानकर पीना है या इसको आप बरोबर कपड़छन पाउडर बनाकर एक-एक चम्मच सुबह शाम सेवन कर सकते हैं।
मिर्गी के दौरे जब आए तो शरीर से पसीना आना, दौरे के बाद प्यास लगना, गला सूख जाना ,अधिक भूख लगना, कान के ऊपर कनपटी पर दर्द होना,शरीर में बेचैनी होना
पित्त प्रकोप से होने वाली मिर्गी के रोगीयों को यदि तेल में तला हुआ समोसा पकोड़ा आदि दिया जाए तो पेट खराब हो जाता है कभी-कभी कव्ज जैसे शिकायत होती है।
रोगियों को हमेशा क्रोध आता रहता है शरीर में जलन होती है गर्मी के दिनों में ज्यादा समस्या होता है।
आप के लिए परहेज करने योग्य कुछ बातें
सबसे पहले जो सबसे जरूरी है उसके ऊपर बात करेंगे
आपको तेल में तला हुआ, आग में सेखा हुआ, फ्राइ किया हुआ,फ्रिज में रखा हुआ बासी भोजन, अधिक क्रोध करना दारु, सिगरेट,गुटका, खैनी,बीड़ी,का सेवन करना, सूर्य के किरणों के सामने ज्यादा देर तक बैठे रहना, गाड़ी में ज्यादा सफर करना, mung aur मसूर के अलावा दूसरा दालों का सेवन करना हमेशा के लिए त्यागना चाहिए।
इस बात को गांठ मार लीजिए ऊपर लिखे गए चीजों का यदि आप निरंतर सेवन करते हैं तो आप को भगवान भी इस रोग से मुक्त नहीं कर सकते।
इन सभी चीजों को त्यागना ही आपके रोग का जबरदस्त इलाज है।
जिसे आप बाजार से कलेक्शन करके खुद भी लाकर निर्माण करके उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
यदि कोई स्पाइसी चीज खाने से आपका पेट खराब हो जाता है तो यह जठराग्नि की कमी है ऐसे में आप हमारे यहां से दिए गए मिर्गी नाशक 3 महीने के कोर्स वाली दवाई का सेवन करते हुए नीचे दिए गए जड़ी बूटियों को बाजार से ले आकर दवाई निर्माण करके प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। यदि आप अंडा और चिकन का सेवन करते हैं तो आप कभी भी इस रोग से मुक्त नहीं हो पाएंगे हां मटन का सूप आप पी सकते हैं यदि आपको उल्टी आने जैसी स्थिति होती है खट्टी डकार आती है तो यह लीवर से संबंधित समस्या है ऐसा समझकर आपको आयुर्वेदिक बमन चिकित्सा भली-भांति समझ कर करना चाहिए।
मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा आंवला हरड़ नागर मोथा अजमोद अजवाइन इन सभी को बरोबर पीसकर रात में दो चम्मच पाउडर को एक कप पानी में डालना है दूसरे दिन सुबह उसको अच्छी तरह मसल कर छानकर गुलाब का शरबत मिलाकर पीना है | यह एक सबसे असरदार mirgi nashak ayurvedic dawa है |
यदि आपको दौरा पड़ने के बाद सिर के अगले हिस्से में दर्द होतीहै, सिर मैं भारीपन लगता है, शरीर ठंडा पड़ जाना, दौरे के बाद नमकीन चीजों का सेवन करने का मन करना, दौरे के बाद शरीर में सुस्ती आ जाना, और नींद आ जाना यह लक्षण यदि आपको दिखता है तो नीचे दिए गए नियमों का पालन करना है।
यदि आप बासी भोजन, फ्रिज में रखा हुआ चीजें,दूध या दूध से बना हुआ प्रोडक्ट,चिकन और अंडा,मूंग और मसूर के अलावा कोई दूसरा दाल, तेल में तला हुआ पदार्थ जैसे समोसा नमकीन या लड्डू पेड़ा बर्फी आदि का सेवन करते हैं तो आपका यह रोग किसी भी हाल में कभी भी ठीक नहीं हो सकता इसके अलावा कुछ व्यवहारिक क्रियाकलाप है जिसको करना आपके लिए कंपलसरी है।
जैसे देर रात तक जगना नहीं चाहिए दारू सिगरेट तंबाकू भांग धतूरा जैसे मादक पदार्थ मस्तिष्क के नसों को कमजोर करता है इस से हमेशा दूर रहना है यह बात आप को समझना होगा कि मिर्गी रोग मस्तिष्क की नसों की कमजोरी होने के कारण से होने वाली एक व्याधि है आपको हमेशा उन पदार्थों को खाने का प्रयत्न करना चाहिए जो ब्रेन के नसों को बल देता है और उनसे दूर रहना है जो उन नसों को कमजोर करता है आपको कभी भी कब्ज को करने वाली चीजें नहीं सेवन करना है रात में हरड़ और एरंड का तेल मिलाकर गर्म पानी में डालिए और पी लीजिए दूसरे दिन सुबह आपका पेट सही तरह से साफ होगा कफ से संबंधित मिर्गी के रोगियों को भूख ना लगने या खाया हुआ भोजन को ना पचाने की बड़ी दिक्कत होती है
ऐसे में नीचे दिए गए योग का निर्माण करके सेवन करिए और भूख बढ़ाने का प्रयास करें ध्यान रहे हमेशा भूख लगे यह आपके लिए अच्छा है पांच रोटी खाने का भूख है तो तीन रोटी खाकर अंतिम में एक सेव या अनार खा लीजिए। एक रोटी का जगह हमेशा खाली रखिए।
काला और सफेद जीरा 50-50 ग्राम
अजवायन 50 ग्राम
काली तिल 50 ग्राम
त्रिफला 50 ग्राम
त्रिफला के अलावा बाकी सभी को कढ़ाई में फ्राई करिए। उसके बाद दरदरा पीस लीजिए ऊपर से त्रिफला मिला लीजिए और स्वाद अनुसार मिस्री का पाउडर मिलाकर रखिए रोज भोजन करने से 15 मिनट पहले और भोजन करने के तुरंत बाद एक एक चम्मच खा लीजिए यह जठराग्नि को तेज करने का सबसे सस्ता नुस्खा है।
कूट अश्वगंधा सेंधा नमक अजमोद काला सफेद जीरा पाठा सोंठ छोटी पीपली काली मिर्च बस शंखपुष्पी ब्राह्मी इन सभी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को पंसारी की दुकान से बरोबर खरीद कर लाइए सभी को कपड़ छान पाउडर बनाकर ब्राह्मी नामक जड़ी बूटी को कुकर में डालकर पानी डालें और उबाले बाद में निचोड़ कर उसे पानी से गिला करके उन पाउडर को धूप में सुखाइये अब मिर्गी के रोगी को यह पाउडर सुबह-शाम भोजन करने से पहले एक एक चम्मच खिलाकर ऊपर से गर्म पानी पिला दीजिए।
आप हमारे द्वारा दिए गए 3 महीने के मिर्गी नाशक दवाइयों का सेवन करते हुए नीचे लिखा हुआ सारस्वत चूर्ण नामक फार्मूला को अपने घर में ही बना कर प्रयोग करेंगे तो सोने में सुहागा हो जाएगा।
सभी प्रकार के मिर्गी रोगियों के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।
सभी बेहोशी मिर्गी नहीं होता।
सभी मिर्गी के रोग का कारण मस्तिष्क भी नहीं होता इसीलिए यह जरूरी नही है की सभी को ब्रेन टॉनिक खाने से या नींद की गोली खाने से मिर्गी ठीक हो जाए।
मिर्गी जड़ से कभी ठीक नहीं होता इसको एक कागज में लिख कर जेब में रख लो।
लीवर के कारण से भी मिर्गी जैसा दौरा आता है।
हृदय के कारण से भी मिर्गी जैसा दौरा आता है।
शरीर में सूर्य नाड़ी और चंद्र नाड़ी का बंधन होता है इसमें यदि डिसबैलेंस हो जाए तो भी मिर्गी जैसा ही दौरा आता है।
आयुर्वेद में लिखा गया है कि यह एक असाध्य व्याधि है ना तो किसी रोग परीक्षण विधि इस व्याधि को पकड़ सकता है ना ही कोई दवाई इस व्याधि को पूर्णतया खत्म कर सकता है| इस व्याधि से बचने का एक ही जरिया यह है कि ऊपर बताए गए दिनचर्या को नोट करें और उसी हिसाब से अपना दिनचर्या को सेटिंग करें |हमेशा एनालाइज करें की किस अन्न आहार से शरीर में विकार उत्पन्न हुआ है उसको हमेशा के लिए त्यागने का प्रयास करें| जब भी कभी दौरा आता है उस से 24 घंटे पहले क्या-क्या खाया था क्या व्यवहार किया था उसको नोट करके हमें इस व्हाट्सएप नंबर 8699175212 पर मैसेज करें हम आपको उन में से कौन सा आहार या व्यवहार के कारण से मिर्गी हुआ था वह बता देंगे यही एक बेहतर जरिया है आपके इस असाध्य व्याधि से मुक्ति पाने का।
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