Panchkarm Vamana therapy आयुर्वेदिक चिकित्सा का सबसे महत्वपूर्ण body detoxification का आधार है। वमन क्रिया द्वारा हम सर्दियों के मौसम में खाए हुए सभी गुरु और स्निग्ध पदार्थ जो शरीर के अंदर मल toxin के रूप में स्थित है को विधि पूर्वक बाहर निकलने का एक व्यवस्था है. जिसके तहत हम अगले मौसम(गर्मी ) में प्रवेश करने हेतु शरीर की तैयारी करते हैं।
या कोई भी कफ दोष से उत्पन्न रोग में सोधन हेतु बमन क्रिया का प्रयोग करके शरीर के सभी विषाक्त पदार्थों को शरीर से विधि पूर्वक बाहर निकलते हैं। ख्याल रखना वमन विधि सिर्फ उल्टी करने वाली प्रक्रिया नहीं है|
तो फिर Vamana therapy क्या चीज है क्यों की जाती है, किसके लिए की जाती है, यह किसके लिए हानिकारक है इन सभी बातों को हम यहां विस्तार पूर्वक चर्चा करने वाले हैं।
Ayushyogi Panchkarm therapy live class:- vamana Therapy
वमन क्रिया के लिए दिया जाने वाला सभी औषधियां ज्यादातर आग्नेय गुण वाला होते हैं।
यह दवाई शरीर के अंदर दोषों का दीपन पाचन करते हुए पूरे शरीर में फैल कर अपने उष्ण,तिक्ष्ण,सूक्ष्म,व्यवाई,विकासी आदि विशेष वीर्य से यानी अपने प्रभाव से हृदय में जाकर धमनियों द्वारा या धमनी का अनुसरण कर स्थूल और सूक्ष्म स्रोतों में प्रविष्ट हो संपूर्ण शरीर में रहने वाले दोष समूह को अपने उष्ण होने के कारण विलीन कर देता हे।तिक्ष्ण होने के कारण दोषों का छेदन कर देता है । और वमनोपग द्रव्य दोषों को पिघलाने का और स्नेह गुणों से आमाशय तक खींचकर लाने का कार्य करता है।
मदन फल
मदन फल को vomiting Therapy वमन क्रिया मैं विशेष तौर पर प्रयोग किया जाता है | क्योंकि मदन फल नामक औषधि में खास गुण मिलता है जैसे
तिक्ष्ण,व्यवाइ,विकाशी,उपर की और गति कराने वाला, बमनोपग द्रव्य के रूप में जाना जाता है।
Note:- -सूक्ष्म स्रोतसों के अंदर अपने इन्हीं गुणों के बदौलत प्रवेश करके दोषों को खींचकर मुख मार्ग से बाहर निकालने के लिए मदन फल बमन क्रिया योग्य औषधि है।
चरक ऋषि ने बमन Vamana /vomiting करने योग्य या वमनक्रिया Ayurvedic vamana karma vidhi में प्रयोग किया जाने वाला कुछ आयुर्वेदिक द्रव्य का नाम दिया है।
जैसे.. शहद, मुलेठी, लाल कचनार,सफेद,कचनार,कदंब,जलवेतस,बिम्वी,शणपूष्प,अंक और अपामार्ग।
यदि किसी कारणवश बमन Vamana karma vomiting या कुंजल क्रीया नहीं हो सका तो आप चरक ऋषि द्वारा प्रदत्त इन औषधियों के सेवन करके भी कुंजल क्रिया या बमन क्रिया समान ही फल प्राप्त कर सकते।
चरक ऋषि द्वारा प्रदत्त चरक बमनोपग महाकषाय कफ और रस पाचक द्रव्य है।
ज्यादातर वैद्य बमन क्रिया के लिए मदन फल पिपली का प्रयोग करते हैं। इसीलिए हम यहां मदन फल पिपली को कैसे शुद्ध करें इस विषय में अब चर्चा करेंगे।
सर्वप्रथम मदन फल को छिलकर अंदर से काली बीज निकाल लीजिए अब उन बीजों को रात भर खट्टे दही में डाल दीजिए दूसरे दिन सुबह अच्छी तरह धोकर उस बीज में अब शहद से उसके बाद तिल तेल से फिर घी से क्रमशः भिगोकर बाद मे सुखा दीजिए। बमन Ayurvedic vamana karma vidhi में प्रयोग करने हेतु तैयार हुआ आपका मदन फल।
जिस दिन Vamana karma करना है उससे 7 दिन पहले से ही इसकी तैयारी करनी होती है।
यह भी ध्यान रखें कि वमन क्रिया सिर्फ कफ से संबंध रखने वाले व्याधियों के लिए ही किए जाते हैं।
First day
सबसे पहला दिन आपको Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु लघु भोजन के साथ गाय का घी 2 चम्मच मूंग के दाल में डालकर पीना चाहिए सुबह और शाम। साथ में यदि कफज व्याधि है तो सुबह और शाम खाना खाने के 2 घंटा पहले पंचकोल चूर्ण गर्म पानी में मिलाकर पिलानी चाहिए यह दीपन पाचन करने के लिए उत्तम औषधि है। यह बमन करने के 1 दिन पूर्व तक देना है। यदि शरीर में कोई हानि ना हो तो इसके मात्रा को हर रोज बढ़ाते हुए क्रम में पंचकोल चूर्ण देना चाहिए।
साथ में शारीरिक एक्सरसाइज वगैरा करने का भी प्रयास करें ।
2nd day
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु लघु भोजन के साथ गाय का घी 3 चम्मच मूंग के दाल में डालकर पीना चाहिए सुबह और शाम। साथ में शारीरिक एक्सरसाइज वगैरा करने का भी प्रयास करें ।
3rd day
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु लघु भोजन के साथ गाय का घी 4 चम्मच,मूंग के दाल में डालकर पीना चाहिए सुबह और शाम। साथ में शारीरिक एक्सरसाइज वगैरा करने का भी प्रयास करें ।
4rt day
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु लघु भोजन के साथ गाय का घी 5चम्मच, मूंग के दाल में डालकर पीना चाहिए सुबह और शाम। साथ में शारीरिक एक्सरसाइज वगैरा करने का भी प्रयास करें । आज आपको यह भी ध्यान रखना है कि यह 5 चम्मच घी जब तक पचेगा नहीं तब तक दूसरा कोई भी भोजन नहीं करेंगे।
5th day
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु लघु भोजन के साथ गाय का घी 6 चम्मच, मूंग के दाल में डालकर पीना चाहिए सुबह और शाम। साथ में शारीरिक एक्सरसाइज वगैरा करने का भी प्रयास करें । संभवत हो सकता है आज का दिन आपको बहुत नींद आना शरीर सुस्त रहना जैसे कब कारक व्यवहार हो सकता है आज भी यही ध्यान रखना है की अधिक गरिष्ठ भोजन ना करें और शरीर से अधिक पसीना निकलने वाले एक्साइज करें।
6th day
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु लघु भोजन के साथ गाय का घी 6चम्मच, मूंग के दाल में डालकर पीना चाहिए सुबह और शाम। साथ में शारीरिक एक्सरसाइज वगैरा करने का भी प्रयास करें । आज के दिन रात में मूंग की दाल का खिचड़ी बनाएंगे उसमें दही डालकर उसको खाना है फिर सोते वक्त एक गिलास दूध में गुड़ शक्कर मिलाकर पीना है इससे जितने भी शरीर में कफ है वह पिघल कर गले तक आ जाएगा। यदि हो सके तो रात में हल्दी डलवा गर्म पानी पीकर छाती और गले और पीठ पर मसाज करें या स्टीम के माध्यम से पसीना निकलने का प्रयास करें। आज जितना हो सके रोगी को कफ वर्धक आहार-विहार करा लेनी चाहिए।
विशेष करके चावल उड़द की दाल तिल सेंधा नमक और शुद्ध घी इन सभी का किसी न किसी रूप में प्रयोग शरीर में कफ को बढ़ाने वाला होता है।
नीचे दिए गए दवाइयों को यथासंभव खरीद कर अपने पास रखें क्योंकि कल बमन यदि ना रुके तो शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए इन दवाइयों को कलेक्शन करके रख लो। यह सभी Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु दवाइयां बमन (vomiting) को रोकने में सहयोगी होते हैं।
सूतशेखर रस
बोल भद्र
प्रवाल पिष्टी
कपूर रस
मुक्ता पिष्टी
मयूर पिच्छ भस्म
सेलाइन पानी
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु घी से सिद्ध किया हुआ एरण्ड नामक वनस्पति का डंडा इसको कल हम बमन क्रिया Vamana karma (vomiting) हो जाने के बाद जलाकर इसके धुएं को सुंघने में प्रयोग करेंगे।
7th day
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु आज सुबह उठने के बाद लैट्रिंग पिसाब हो जाने के बाद जितना हो सकता है उतना गाय का दूध पीना है। वैसे तो आज रोगी ज्यादातर भूख ना लगने की बात करते हैं मगर यदि भूख लगती है तो बमन करने से डेढ़ घंटे पहले दूध में जौ का आटा को अच्छी तरह पका कर रोगी को पिलानी चाहिए। वैसे गर्म दूध में जौ का पाउडर डालकर भी पिला सकते हैं। ध्यान देना खाली पेट वमन क्रिया Vamana karma (vomiting) नहीं कराना चाहिए।
उसके2 घंटे के बाद यदि मिल जाता है तो आकंठ गन्ने का रस पीना है बता दूं कि गन्ने का रस स्वयं से उल्टी कराने वाला द्रव्य है आज हम वमन क्रिया करेंगे।
मदन फल पिपली 12 ग्राम
बच पाउडर 6 ग्राम
सेंधा नमक 3 ग्राम
शहद 20 ग्राम
इन सभी को मिक्स करके एक पात्र में रखे अब नीचे दिए हुए द्रव्यों को मिलाकर काढ़ा तैयार करें।
दुसरा विधि...
दोषों के आधार पर वमन क्रिया (vomiting)की तैयारी।
मदन फल पिपली 10 से 15 ग्राम
मुलेठी। -कफज में
निम का छाल -रक्तज में
पटोलपत्र - पित्तज मे
मान लो कफज़ दोष है तो - मुलेठी का 100ml काढा बना कर रात में 10 से 15 ग्राम तक मदन फल पिपली जौकुट करके रात में उसी काढ़ा में डालें और ढक कर रख ले।
बमन करने वाले दिन यानी दूसरे दिन शुभ -उस काढा को अच्छी तरह मसल कर कपड़े से छान लें अब ऊपर से 5 ग्राम सेंधा नमक और 20 ग्राम शहद डालकर बमन औषधि तैयार करें।
इसी तरह से रक्तज व्याधि में - निंबछाल और पित्तज व्याधि में पटोल पत्र का काढ़ा बनाकर आगे का क्रिया संपादन करें।
यष्टिमधु डिकोस्ट निर्माण विधि।Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु
- मुलेठी पाउडर 50 ग्राम
- सेंधा नमक 20 ग्राम
- इसको 2 लीटर पानी में डालें और उबालना शुरू करें जब पानी उबलते हुए डेढ़ लीटर तक रहे तो छानकर बमन Vamana karma (vomiting)अनुपान के लिए तैयार रखें।
वमन क्रिया Vamana karma (vomiting)किसके लिए ना करें |
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु यह देखना है कि कहीं ब्लड प्रेशर लो तो नहीं हो रहा है क्योंकि जब ब्लड प्रेशर लो या हाई हो जाए तो ऐसी स्थिति में हमें वमन क्रिया नहीं करानी चाहिए। इसके साथ-साथ और भी कुछ स्थिति है जहां हमें वमन क्रिया Vamana karma (vomiting) नहीं करना चाहिए जैसे।
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु दुर्बल शरीर वाला, उदर रोगी,चक्कर आता हो, रुक्ष प्रकृति वाला व्यक्ति, कृश शरीर,बहुत ज्यादा मोटा शरीर,गर्भवती महिला, ह्रदय रोगी,पार्श्वशूल,प्लीहा, मंदस्वर से बोल्ने वाला, बचपन से ही रोग ग्रस्त, छोटा बच्चा और अधिक वृद्ध व्यक्ति के ऊपर बमन चिकित्सा Vamana karma (vomiting) नहीं देना चाहिए।
वमन क्रिया Vamana karma (vomiting) की तैयारी कैसे करें।
जैसे कि ऊपर बताए हुए विधि से सुबह उठने के बाद दूध पिलाना है उसके 15 मिनट के बाद आकंठ गन्ने का जूस पिलाना है।उसके बाद कम से कम 10 मिनट के बाद रोगी का ब्लड प्रेशर चेक करना है यदि ब्लड प्रेशर नॉर्मल है नाड़ी की गति नर्मल है तो फिर ऊपर बताए हुए मदन फल पीपली वाला दोनों में से किसी एक योग को खाने को देना है। मगर यह ध्यान रखना कि रोगी का बल और अग्नि कोस्ठ और रोग का बल को देखकर इस बमनोपग द्रव्य का प्रमाण तय करना है।
एक नंबर वाला योग यदि आपने यहां चाटने के लिए दिया तो ऊपर से तुरंत मुलेठी का काढ़ा जो तैयार करके ठंडा होने के लिए रखे थे ऊपर से एक गिलास पिला देना इसको पीने के 5 मिनट के बाद उल्टी आना शुरू हो जाएगा।
रोगी को कमर में हाथ रखकर उल्टी करने के लिए बोलना है। यदि मानसिक तौर पर वह खुश ना हो तो वमन क्रिया कराने का अधिक फायदा नहीं होता इसलिए बमन करने के कुछ समय पहले से ही उसके मनपसंद संगीत को भी जरूर सुना कर उसे प्रसन्न करने का प्रयत्न करना चाहिए।
समयानुसार बमन का क्रम
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु
शुभ 7:00 बजे
-जौ मिलाया हुवा दूध को पिलाना है।
शुभ 9:00 बजे
गन्ने का जूस या मुलेठी का काढ़ा यदि कुछ ना हो तो गाय का दूध पिला दे।
यहां रोगी को बाथरूम लगे तो फ्रेश होने के लिए बोलना है।
सुबह 9:15 में
यहां वैदिक मंत्र बोलते हुए मदन फल पिपली का ऊपर के योग को चाटने के लिए दे दो और तुरन्त मुलेठी वाली एक गिलास काढ़ा पिला दो।
अब 10 मिनट के बाद बमन होना शुरू हो जाएगा।
बमन (vomiting) होने वाला है यह कैसे पता लगेगा।
ऐसा होने पर समझ में आना चाहिए की दवाई का प्रयोग अंदर सूक्ष्म स्रोतों में जाकर दोषों को पिघलाना और बाहर खींचने वाली कार्य चल रहा है।
बमन Vamana karma (vomiting) ना हो रहा हो तो क्या करें
यदि ऊपर बताए हुए विधि से दवाई खाने पर भी उल्टी नहीं होती है तो कमल के डंडा या एरण्ड के डंडे को जलाकर उसके धुयें को सुंघना चाहिए और साथ में मुंह के अंदर उंगली ले जाकर बमन करने का प्रयास करना चाहीए। यदि फिर भी बमन (vomiting) ना हो तो ऊपर वाली मुलेठी के काढा तीन चार गिलास पी लेनी चाहिए अब तो कैसे भी हो बमन जरूर होगा।
बमन Vamana karma (vomiting) करने का सही पोजीशन।
Vamana के बेगों का गणना कैसे करें।
हमें यहां vomiting का बैग उसकी मात्रा और मुंह से निकलने वाली आवाज को भी ध्यान देते रहना चाहिए और नोट करते रहना चाहिए। सबसे पहले सुबह खाया दूध और गन्ने का जूस निकलेगा फिर बाद में कफ निकलेगा सबसे अंत में पीला रंग वाला पित्त निकलेगा चिकित्सक को चाहिए कि बमन तब तक कराते रहें जब तक खड़ी पित्त अच्छी तरह से ना निकल जाये।
सम्यक बमन क्रिया हुवा है या नहीं इसको जाने
आज सुबह से ही जब हम कुछ भी खाने और पीने को देंगे उसके weight को note करते हुए जाना है।
बमन 1 tab में करा लेना और देखना है कि जितना मात्रा में सुबह से खिलाया पिलाया है बमन के माध्यम से क्या उससे अधिक चीजें बाहर निकल रहा है यदि है तो समझ लो वमन क्रिया सफल हो रहा है।
यदि वमन क्रिया सही तरीका से सफलतापूर्वक शरीर में कार्य करें तो
असफल वमन क्रिया की पहचान।
बमन कराने के लिए प्रयोग किए जाने वाले दवाइयों का सहीComposition नहीं बन पाए या वमन क्रिया सही नहीं हुआ तो उसके फलस्वरूप शरीर में भारीपन होना शुरू हो जाएगा।
बमन क्रिया अति योग का लक्षण।
यदि अधिक मात्रा में बमनोंपग द्रव्यों का प्रयोग किया गया या अधिक मात्रा में बमन हुआ या अयोग्य व्यक्ति को अनजाने में बमन कराया गया तो उसके फलस्वरूप उस व्यक्ति को चक्कर आना, रक्तस्राव, मुंह से झाग निकालना, मूर्छा,वात प्रकोप आदि लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं।
आप के सवाल और हमारा जवाब।
नेचुरोपैथी में इसे कुंजल क्रिया कहते हैं मगर Ayurveda panchakarma में इसे वमन क्रिया के नाम से जाना जाता है। बमन क्रिया सभी प्रकार के कफ दोष से संबंध रखने वाले टॉक्सिंस को बाहर निकालने में उपयोगी चिकित्सा विधि है। ज्यादातर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और श्वसन पथ के बलगम की अधिकता को खत्म करने के लिए बमन थेरेपी दी जाती है जिससे कफ की अधिकता समाप्त हो जाती है।
नाम भिन्न-भिन्न होने पर भी वमन क्रिया तो एक ही तरह का होता है जहां हम कुछ बमन करने वाले आयुर्वेदिक दवाइयों के सहयोग से स्टमक में स्थित बलगम को बाहर निकालते हैं वैसे तो आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से देखें तो पैर के नाखून से सिर के सिखा पर्यंत सुक्ष्म स्रोतोंमें विद्यमान टॉक्सिंस को बाहर निकालने के लिए वमन क्रिया बताया गया है।
बमन Vamana karma यह शब्द आयुर्वेदिक ग्रंथों में लिखा गया है और कुंजल क्रिया नेचुरोपैथी चिकित्सा का एक हिस्सा है। कुंजल क्रिया शरीफ स्टमक में विद्यमान कफ के जल महाभूत वाले परमाणु को निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है। कुंजल क्रिया करने से हमारे शरीर के समग्र स्रोतों का शुद्धिकरण नहीं होती है। मगर ऊपर बताए हुए आयुर्वेदिक विधि से बमन कर्म करते हैं तो संपूर्ण शरीर विशुद्ध हो जाता है।
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु आकंठ दुग्ध या जलपान करके मुंह में उंगली को अंदर तक प्रवेश कराया जाता है । इस क्रिया से स्टमक में विद्यमान वह पानी मुंह के माध्यम से बाहर निकल जाता है कुछ लोग यहां गर्म पानी में सेंधा नमक, हल्दी,नींबू भी डालकर कुंजल क्रिया करते हैं।
नेचुरोपैथी चिकित्सा विधि में कुंजल क्रिया के विषय में विस्तृत चर्चा किया हुआ है उन लोगों का मानना है कि जब शरीर में कफ के मात्रा बढ़ने लगे तो कुंजल क्रिया सर्वोत्तम चिकित्सा विधि है।
कुंजल क्रिया नेचुरोपैथी चिकित्सा विधि के आधार पर शुभ के समय में करना अच्छा होता है।
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु सुबह का वक्त आयुर्वेदिक दृष्टिकोण में कफ दोष से संबंध रखने वाला समय होता है। प्रातकाल शरीर में कफ बढ़ता है ऐसे में क्योंकि हम कुंजल क्रिया या वमन क्रिया कफ को निकालने के लिए ही कर रहे हैं तो ऐसे में कफ के काल में ही वमन क्रिया करें यह अच्छी बात है।
कुंजल क्रिया किन किन रोगों में फायदा करता है। In which diseases is Kunjal Kriya beneficial?
देखिए यदि आपका सवाल कुंजल क्रिया के लिए है तो कुंजल क्रिया शरीफ खांसी नजला के लिए प्रयुक्त हो सकता है।
कुंजल क्रिया मंदाग्नि के रोगियों में नहीं करना चाहिए क्योंकि कुंजल क्रिया या वमन क्रिया अग्नि को मंद करता है।
यदि भूख की कमी हो खाया हुआ नहीं पच पाए तो सबसे पहले आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सा विधि के अनुसार दीपन पाचन करने वाली दवाइयों के सहारे कुछ दिन तक रहकर फिर बमन करिया करना चाहिए।
कुंजल क्रिया या वमन क्रिया Vamana karma (vomiting) करने के बाद अग्नि मंद पड़ जाती है मगर भूख भी लगती है ऐसे में ऐसा अन्न आहार सेवन करें जो स्वयं से अग्नि वर्धक गुण वाला हो और आपके भूख और प्यास को भी मिटाने वाला हो।
जैसे मूंग के दाल में त्रिकुटा को डालकर इसका सूप पीना चाहिए।
कुंजन क्रिया या बमन क्रिया Vamana karma (vomiting) यदि असावधानीपूर्वक किया जाता है तो इससे शरीर में बहुत सारे हानि होने का संभावना बन जाता है ।जैसे चक्कर आना, शरीर में वायु का बढ़ जाना,भूख की कमी होना , अग्नि का मंद पड़ जाना,शरीर सुस्त रह जाना आदि।
पंचकर्म जहां पृथ्वी जल तेज वायु और आकाश से शरीर का निर्माण हुआ है।इसको जानकर पंचमहाभूत की शुद्धीकरण हेतु आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग करके बमन कराया जाता है। आयुर्वेदिक पंचकर्म के आधार पर यदि हम वमन क्रिया करते हैं तो शरीर के सभी प्रकार के टॉक्सिंस समूल नष्ट हो जाते हैं।
कुंजल क्रिया और बमन क्रिया में भिन्नता क्या है।
What is the difference between Kunjal Kriya and vamana Kriya?
आयुर्वेदिक ग्रंथों के आधार पर अगर देखें तो कुंजल क्रिया से बेहतर बमन क्रिया है हालांकि इन दोनों शब्दों का अर्थ तो एक ही है लेकिन क्रियाविधि बहुत भिन्न है। जहां बमन कर्म शरीर के हर एक सूक्ष्म स्थानों में पहुंचकर वहां के दोषों को पिघलाकर तोड़कर खींचकर मुंह से बाहर निकालने के लिए बताया गया है वहीं कुंजल कर्म सिर्फ अमाशय से कफ को निकालने के लिए ही प्रयोग किया जाता है।
Ayurvedic vamana karma से यदि वोमीटिंग का अतियोग हो रहा है। और सावधानीपूर्वक वोमिटिंग को रोकने का प्रयास करना चाहिए हालांकि यदि हम आयुर्वेदिक दवाइयों को खिलाकर वह मीटिंग कर रहे हैं तो यहां यह भी ध्यान रखना है यदि हमने उसको रोकने का प्रयास किया तो बमन कारक आयुर्वेदिक दवाई अंदर ही पड़ा रहेगा यह भी शरीर के लिए हानिकारक ही होता है मगर उस वक्त जब वोमीटिंग हो रहा है अति योग हो जाए तो भी जान को नुकसान होने का संभावना होता है इसको जानकर कुछ चीजें हैं जिसका सेवन कराने से तत्काल वो मीटिंग रुक जाती है जैसे अमरूद का पत्ता यह मीटिंग को रोकने वाली होती है वैसे हमने वोमिटिंग रोकने के लिए जो आयुर्वेदिक दवाइयां प्रयोग की जाती है उसके जिक्र ऊपर दिया हुआ है।
सेलाइन पानी यह कुछ आयुर्वेदिक दवाई वोमिटिंग Vamana (vomiting) रोकने के लिए प्रयोग किए जाते हैं । जब आप कुंजल क्रिया करने जा रहे हो तो प्रयास करें कि इनमें से कुछ चीजें आपके पास हो।
उल्टी को रोकने के घरेलू उपाय। Home remedies to stop vomiting.
Vamana (vomiting) के लिए कुछ घरेलू साधारण जड़ी बूटियां भी कभी-कभी कारगर काम कर जाती है जैसे अमरूद का पत्ता, आम का पत्ता सोंफ का काढा यह सभी तत्काल उल्टी Vamana (vomiting) को रोकने वाले घरेलू चीजें हैं।
बच्चों की उल्टी रोकने के घरेलू उपाय। What home remedies stop vomiting
यदि आपका सवाल यह है कि छोटे बच्चों को उल्टी आ जावे तो उसको कैसे रोका जाए तो बहुत पेट में कीड़े होने से या कफ कारक चीजों का अति सेवन से छोटे बच्चों को उल्टी होती है ऐसे में लक्षणों के आधार पर उन दोषों का शमन करें उसके बाद बच्चों को कभी उल्टी Vamana (vomiting) नहीं आएगी। वैसे तत्काल उल्टी को रोकने के लिए जन्म घुट्टी भी अच्छा काम करता है क्योंकि ज्यादातर बच्चों में पेट दर्द गैस होने के वजह से उल्टी Vamana (vomiting)हो जाती है जन्म घुट्टी यहां अच्छा काम कर सकता है।
उल्टी के लिए कौन सी दवा लेनी चाहिए। Which medicine should be taken for vomiting?
जब छोटे और बड़ों को उल्टी आने शुरू हो जाए तो ऊपर लिखे हुए कुछ आयुर्वेदिक दवाइयां साटन के रूप में देना चाहिए या नजदीक के किसी हॉस्पिटल में लेकर के जाए यदि साधारण घरेलू चिकित्सा करने के बाद भी उल्टी नहीं रुके तो अपनी तरफ से जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए आप किसी योग्य डॉक्टर के पास लेकर के जाए।
क्या चीज खाने से उल्टी होता है। What causes vomiting after eating?
ज्यादातर एसिड को बढ़ाने वाली भोजन ही उल्टी कराने वाली होती है। मंदाग्नि मुख्यतः वोमिटिंग Vamana (vomiting) का मूल कारण है।
खाली पेट चाय पीना बिस्कुट का सेवन करना यह सभी आदतें वोमिटिंग को पैदा कर सकती है।
यात्रा करते वक्त वोमिटिंग क्यों होती है। Why does vomiting happen while travelling?
बहुधा नाड़ी परीक्षण करते वक्त देखा गया है कि जिन का रक्त धातु में कफ स्पाइक हो रही है उन्हीं को ज्यादातर यात्रा करते वक्त वह मीटिंग होती है जिनको यात्रा करते वक्त वह मीटिंग होने की शिकायत है वह तुरंत अपने रक्त धातु में स्थित टॉक्सिंस को खत्म करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सा लेने का प्रयत्न करें।
उल्टी के लिए कौन सा इंजेक्शन लगाया जाता है। Which injection is given for vomiting?
जिसे उल्टी Vamana की समस्या होती है उन्हें पेरीनाल इंजेक्शन लगाया जाता है मगर यह एलोपैथिक डॉक्टर ही तय करेंगे कि आपका शरीर इस इंजेक्शन का योग्य है या नहीं।
पतंजलि मेडिसिन फॉर वोमाइटिंग। Patanjali Medicine for Vomiting.
पतंजलि ने एक आयुर्वेदिक दवाई बनाया है जिसका नाम है पतंजलि अविपत्तिकर चूर्ण कुछ लोगों का मानना है कि पतंजलि अविपत्तिकर चूर्ण भी वोमिटिंग Vamana (vomiting) को रोकने के लिए कारगर औषधि है।
खाना खाने के बाद उल्टी होने का कारण | cause of vomiting after eating food
जब हम अनेक रस वाला भोजन करते हैं और वह रस एक आपस के विरोधी होते हैं तो पेट में एसिड बनना शुरू हो जाता है। वही एसिड उदान वायु के प्रभाव से स्टमक में आता है और फिर वोमीटिंग शुरू हो जाती है।
उल्टी Vamana (vomiting)को रोकने के लिए बहुत सारे आयुर्वेदिक क्लासिकल मेडिसिन है लेकिन सभी आयुर्वेदिक चिकित्सकों का भरोसेमंद दवाई स्वर्ण युक्त सूतशेखर रस और मयूरपिच्छ भस्म उन सभी में अति कारगर उल्टी को रोकने वाली आयुर्वेदिक औषधि है।
बुखार में उल्टी (vomiting) रोकने के उपाय। Remedies to stop vomiting in fever.
बुखार होने पर यदि उल्टी आ जाए तो यह एक भयानक स्थिति हो सकता है यदि आपके घर में छोटा बच्चा है उसको बुखार आ रहा है और उस साथ में उल्टी भी आ रही है इसका मतलब उसके पेट में अग्नि मंद पड़ गया है ऐसे में उस बच्चे को सोंफ जीरा और धनिया को उबालकर थोड़ा-थोड़ा पिलाते रहना चाहिए।बुखार होने का मतलब है कि शरीर में जो रक्त धातु है उसमें पित्त का स्नेह वाला गुण की कमी और उष्ण वाला गुण की अधिकता हो जाती है। बुखार में वायु भी पित्त के उस दूषित गुणों को कंट्रोल करने के चक्कर में बढ़ जाता है वायु बढ़ने से पेट में गैस होती है और उसके कारण से उल्टी हो जाती है।
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भोजन के चरण बद्ध पाचन के लिए जो क्रम आय…
malkangani क्या है:- what is jyot…
अपने हेतुओं से उत्पन्न दोष या व्याधि को…
चरक संहिता को महर्षि चरक ने संस्कृत भा…
अगर आप भी Nadi pariksha online course क…
Mirgi की आयुर्वेदिक दवा के रूप में प्…
आरोग्यवर्धिनी वटी: मांसवह स्रोतस और मेद…
Sitopaladi वात वाहिनी नाड़ियों पर…
अगर हम आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से दे…
Introduction
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