malkangani क्या है:- what is jyotishmati in Hindi malkangani एक ऐसा महान वृक्ष(वानस्पत्ति) जो अपने पंचांगों के अद्भुत उपयोगों के लिए सुप्रचलित है यह एक महान सिरोविरेचक के रूप में होता आया है इसका उपयोग वात एवं कफ जनित व्याधियो में होता आया है इसके पंचांगों को लेप प्रलेप प्रदेह एवं तेल का भी एक विशेष प्रयोग है
malkangani का आयुर्वेदिक गुणधर्म. Ayurvedic properties of Malkangani
गण- शिरोविरेचन (च.),अधोभागहर,शिरोविरेचन (सु.)
कुल-ज्योतिष्मती कुल
रासायनिक संघटन- ज्योतिषमति के बीजों में 52.2% गाढा, रक्तपीत, एवं गंध युक्त तेल, राल, कसाय द्रव्य तथा कषाय युक्त तत्व,5% क्षार होता है।
गुण..तीक्ष्ण। रस.. कटु,तिक्त। विपाक कटु। वीर्य उष्ण। प्रभाव मेध्य
दोष कर्म.. यह स्निग्ध तथा उष्ण होनेसे वात का और कटु तिक्त एवं उष्ण होने से कफ का समन करती है।
संस्थानिक कर्म वाह्य शरीर हेतु:- इसके तेल का अभ्यंग वातहर, वेदनास्थापन एवं उत्तेजक होता है।
आभ्यन्तर नाड़ी संस्थान -malkangani यह मस्तिष्क पोषक है गर्म तासीर होने के कारण इससे विशेषकर ग्रहण शक्ति तीव्र होती है।
इससे नाड़ियों को भी बल प्राप्त होता है मस्तिष्क सामग्री है।
पाचन संस्थान के लिए...
यह कड़वा और तिक्त उष्ण होने के कारण यह दीपन कर्म करने वाला है malkangani स्निग्ध और गर्म होने के वजह से यह वात अनुलोमन कारक भी है।
रक्तवह स्रोतस हेतु.
गर्मी के कारण malkangni हृदयर को उत्तेजित भी करता है और रक्त संवहन क्रिया को बढ़ा देता है इससे सूजन में भी लाभ मिलता है।
स्वशनसंस्थान हेतु malkangni
malkangani कड़वा और गर्म होता है इसलिए यह शिरोविरेचन तथा कफ को नाश करने वाला बताया गया है।
मूत्रवह संस्थान के लिए Malkangani
malkangani के उष्णता के कारण यह किडनी को उत्तेजित करता है जिससे मूत्र अधिक निकलता है।
प्रजनन संस्थान हेतु Malkangani का प्रयोग
malkangani को नाडीयों को बल देने वाला बताया गया है इसी कारण से इसे वाजीकरण भी कह सकते हैं इस आधार पर यह आर्तवजनन् भी होता है।
त्वचा और Malkangani
malkangani को कुष्ठघ्न एवं शरीर में पसीना को उत्पन्न करने वाला भी समझना चाहिए इस आधार पर malkangani त्वचा विकार में भी कार्यरत है।
Malkangani का तापक्रम
कटु शिक्षा होने से यह आम पाचन तथा स्वेदजनन् होने के कारण malkangani को बुखार नाशक दवाई भी बताया जाता है।
malkangani का अहित प्रभाव
Malkangani को ज्यादा मात्रा में खाने पर उल्टी और लूज मोशन होने की संभावना होती है।
Malkangani की पहचान:-
यह ज्यादातर पहाड़ी इलाको में 13 से 1400 मीटर ऊपर पाए जाने वाला एक दिव्यवानस्पत्ति
है ये दिखने में इसके पेड़ की त्वचा खर गुण वाली और इसके बीज लाल या खूनी रंग के होते है इसके फल हरे पीते सन्तरे रंग जैसे होते है यह इसके बीजों को चुरा मसलने से से ये अलसी के समान हो जाते है हमे उम्मीद है कि आप इसके स्वरूप को परख लिए होंगे।
Malkangani की प्रकृति:- यह उष्ण और तीक्ष्ण प्रकृति की औसधी है जो कटु प्रकृति की होती है जिसके कारण इसमें वायु और अग्नि तत्व होते है।
Malkanganiकी मात्रा:-
इसका सूक्ष्म मात्रा ही इसका सदुपयोग है क्योंकि हम जानते है "अति सर्वत्र वर्जयेत" किसी का उपयोग उसकी सीमा और वैद्य के निगरानी में ही करना चाहिए।
Malkangani के अन्य नाम:-
हिंदी में इसे – Malkangani, मालकौनी, मालटांगुन कहते है
अंग्रेजी मके इसे –स्टाफ् ट्री , ब्लेक आइल ट्री ,इन्टेलेक्ट ट्री , क्लाइविंग स्टाफ ट्री कहते है
प्राचीन भासा संस्कृत में अति उत्तम नाम जो – ज्योतिष्मती, पारावतपदी, काकाण्डकी, कंगुणिका, पीततैला, कट्वीका, वेगा, कट्भी के नाम से जाने जाते है।
उर्दू में इसे – मालकांगुनी कहते है
ओड़ियामे– कटोपेसु खरोसाना , नोईबाडो
असम में- पोकिटाई
स्वराष्ट्र में – मालकांगणा , तमिल में–वलुलुवै , वेलुलुवई आदिबारिचम
तेलगु में इसे– बावंजी
बंगाल में – लताफटकी बनउच्छे , malkangani
नेपाली में – इहोरो
महाराष्टइन मे– मालकांगोणी , पिगवी/ पंजाबी में – संखु
मलयालम में –वालुलावम, चेरूप्पुन्ना
अरबी – अरबी-हब्बे किलकिल् मालकाग्नी
रोमन – काल
आदि आदि नामो से प्रचलित है।
Malkangani के उपयोग:-
१) बवासीर:- इसका लेप तैयार कर इसमे कुछ शीतवीर्य वाले द्रव्य मिलाकर मस्सो में लेप लगाने से मस्सो में लाभ मिलता है ।
२)खूनी बवासीर में :- रसौत,कड़वे इंद्र जौ, और Malkangani को प्रलेप लगाने से भी लाभ होता है ।
३)नेत्र हेतु:- 2 से 3 बून्द तेल को नस्य देने से भी नेत्रो…
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