bruhaniya Mahakashaya कुपोषण नाशक मांस धातु वर्धक जिम से मसल्स बनाने की चाह रखने वाले कमजोर शरीर वालों के लिए अती उत्तम दवाई है| bruhaniya Mahakashaya कुपोषण नाशक मांस धातु वर्धक जिम में घंटों पसीना बहा कर एक्साइज करने वाले नवयुवक लोगों का पहला पसंद ।भारत सरकार के पटल पर कुपोषण से दुखी ग्रामीण गरीबों के लिए सर्व सुलभ और अति महत्वपूर्ण महा औषधि के रूप में भारत के बड़े-बड़े आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा बार-बार सुझाव दिया हुआ अति महत्वपूर्ण घटक द्रव्य है वृंहणीय महाकषाय(bruhaniya Mahakashaya )।
चरक संहिता में 50 प्रकार के महाकषाय वर्णन करते वक्त वृंहणीय महाकषाय के बारे में भी जानकारी प्रदान किया हुआ है। क्या है(bruhaniya Mahakashaya) वृंहणीय महाकषाय और क्यों है यह सभी आयुर्वेदिक जिज्ञासुओं के लिए महत्वपूर्ण कंपोजिशन।
वृंहणीय महाकषाय मैं आने वाले जड़ी बूटियों का गुणधर्म और किन किन समस्या में वृंहणीय महाकषाय का प्रयोग किया जाता है आज हम विस्तार से जानेंगे।
अश्वगंधा |
- गण- वल्य, वृंहणीय,मधुरस्कन्ध प्रमुख कर्म रसायन गुण लघु स्निग्ध, रस तिक्त कटु मधुर उष्ण विर्य मधुर विपाक |
विधारा |
उष्ण, रसायन, मधुर, बुद्धि वर्धक,स्वर को शुद्ध करने वाला, अग्नि दीपक, कांति वर्धक, पौष्टिक, कामोद्दीपक, रुचि कारक, उपदंश, पांडुरोग,खांसी, प्रमेह,वातरक्त, आमवात, सूजन, और कफ को दूर करने वाला। |
कपास के बीज- |
शितल पौष्टिक, दुग्ध वर्धक, कामोद्दीपक, चर्म रोग नाशक पित्त कफ नाशक, प्यास को बुझाने वाला चित्त की अस्थिरता और बेहोशी को दूर करने वाला, अति बला -वल्य, वृंहणीय,मधुरस्कन्ध मधुर शीत शीत , गुण लघु स्निग्ध पिच्छिल वातहर रसायन,मूत्रजनन वाजीकर वल्य प्रदरहर |
बला - |
वल्य, वृंहणीय,मधुरस्कन्ध मधुर शीत शीत , गुण लघु स्निग्ध पिच्छिल वातहर रसायन,मूत्रजनन वाजीकर वल्य प्रदरहर श्वासदोषहर क्षयनाशक |
काकोली |
शतावरी के जड़ जैसा दिखे,जड़ से सुगंधित दूध निकलता है, शीतल वीर्य वर्धक मधुर धातु वर्धक कफ कारक भारी तथा पित्त रोग को दूर करने वाला वृश्य है विनाशक बुखार को नष्ट करने वाला गर्मी को नष्ट करने वाला। |
क्षीर काकोली- |
इसका थोड़ा सा ही पावडर दूध के साथ लेने से कफ , बलगम खत्म हो जाता है . लीवर ठीक हो जाता है . यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है . यह कमजोर और रोगियों को स्वस्थ करता है . शीतकाल में इसके प्रयोग से ठण्ड कम लगती है . इसको लेने से ताकत आती है . खाना कम भी मिले ; तब भी ताकत बनी रहती है . पहाड़ों पर ऊपर चढ़ते समय सांस नहीं फूलता. यह बुढ़ापे को रोकने में मदद करती है . |
दूधी घास |
यह वनस्पति श्वास नलिका की सूजन को कम करने, मासिक रक्तस्राव, श्वेत प्रदर, खूनी आंव में बेहद कारगर है। |
खिरनी का छाल- |
खिरनी मधुर, कषाय, शीत, गुरु, स्निग्ध, पिच्छिल, त्रिदोषशामक, रुचिकारक, बलकारक, वृष्य, तृप्तिकारक, हृद्य, बृंहण, संग्राही, विष्टम्भी, स्थौल्यकारी, शुक्रजनक, धातुवर्धक तथा व्रणरोपक होती है। यह तृष्णा, मूर्च्छा, मद, भान्ति, मेह, दाह; रक्तपित्त, क्षत तथा क्षय नाशक होती है। खिरनी के फल मधुर, कषाय, वृष्य, बलकारक, बृंहण, रूचिकारक, विष्टम्भी, हृद्य, स्निग्ध, शीतल, गुरु कफकारक, शुक्रवर्धक, पित्तप्रसादक, वातशामक, तृष्णा, मूर्च्छा, मद, भान्ति, क्षय, रक्तविकार, मूत्रदोष, दाह तथा क्षतशामक होते हैं। |
यदि अंशांश कल्पना के नजरिया से देखे तो वृंहणीय महाकषाय शरीर के प्रत्येक tissue को develop करने तथा सभी शिरा और कण्डराओं को वृद्धि करने के लिए जाना जाता है।
वृंहणीय महाकषाय (bruhaniya Mahakashaya)के सभी औषधियों को देखने से जान पड़ता है की यह अपने बलकारक वृष्य स्निग्ध गुरु शुक्र वर्धक आदि गुणों से शरीर मांसवृंहण करने वाला अति उत्तम योग है
जंगली कपास के बीज, अश्वगंधा,काकोली, छीर काकोली जहां संयुक्त रूप से आ जावे समझ लीजिए यह योग कमजोर व्यक्ति जिसके शरीर में बहुत अधिक कमजोरी है या अतिकृष व्यक्ति को मोटा करना हो तो इन दिनों से युक्त कंपोजीशन का प्रयोग जरूर करना चाहिए।
वृंहणीय महाकषाय(bruhaniya Mahakashaya) मांस बृंहण कारक मांस धातु के क्षय होने की condition में या शरीर में अत्यधिक थकान,अत्यधिक मरोड़ पैदा होने या मांस पेशीयों में दर्द होने जैसी स्थितियों में वृंहणीय महाकषाय( bruhaniya Mahakashaya)को दिया जा सकता है।
शरीर में पोषण के अभाव ग्रामीण क्षेत्र में बहुधा देखा जाता है।असंतुलित खान पीन और पोषण हीन भोजन के कारण ग्रामीण समाज पहले से ही त्रसीत है यदि ऐसी सिचुएशन में वृंहणीय महाकषाय बच्चों को दिया जाए हंड्रेड परसेंट उनके शरीर में रसायन की वृद्धि होगी।
क्योंकि अश्वगंधा, विधारा, कपास बीज, अतिबला, क्षीरकाकोली और खिरनी यह महा औषधि है सभी आयुर्वेदिक ग्रंथों में इन्हें रसायन शब्द से संबोधन किया है यह सभी रस धातु को बढ़ाने वाला शरीर और रक्त को पोषण देने वाला स्त्री के स्तन में दुग्ध को बढ़ाने वाला जैसे तमाम फायदा इन साधारण और सर्वत्र उपलब्ध जड़ी बूटियों से प्राप्त हो सकता है।
राजनीतिक और सामाजिक परीप्रेक्ष में अपेक्षित इन महा रसायन कारक आयुर्वेदिक औषधियों को छोड़कर जहरीला केमिकल युक्त एलोपैथिक इंजेक्शन की तरफ हमारी झुकाव हो गया परिणाम स्वरूप समाज आज इन साधारण सर्वत्र उपलब्ध जड़ी बूटियों से उचित लाभ नहीं प्राप्त कर पा रहा है।
मांस धातु के संदर्भ में बताया जाता है कि मांस धातु शरीर को स्थिर रखने के लिए शरीर प्रयोग करता है। यदि मांसधातु बढ़ जाता है तो वृंहणीय महाकषाय (bruhaniya Mahakashaya)देने पर हानि हो सकता है मगर मांसधातु यदि कमजोर है तो नीचे दिए हुए लक्षण व्यक्ति में दिखेगा और इस तरह के लक्षण दिखे तो उन सभी लक्षणों के आधार पर हम वृंहणीय महाकषाय(bruhaniya Mahakashaya) दे सकते हैं।
मांस धातु क्षीण होनें के लक्षण- शरीर में मांस के क्षीण होने से स्फिक्र (गण्ड स्थल के पास का भाग) और गण्ड स्थल (पौंर्दा) आदि में शुष्कता (सूख जाना), शरीर में टोचने की सी पीड़ा अंश ग्लानि अर्थात् इन्द्रियों का अपने काम करने में असामथ्र्य, सन्धियों के स्थान में पीड़ा और धमनियों में श्थििलता ये मांस धातु कमजोर होने का लक्षण है।
इन लक्षणों के देखे जाने पर आप बेफिक्र मांस धातु को बढ़ाने हेतु {bruhaniya Mahakashaya}वृंहणीय महाकषाय रोगी को दे सकते हैं।
हमारे यहां आयुर्वेदिक दवाई कैसे बनाएं, रोगी को कैसे दें,, आदि विषयों को सीखना चाहने वाले तमाम आयुर्वेद प्रेमी विद्यार्थियों के लिए special practical Ayurveda का क्लास
शुरू से प्रारंभ है यदि आप भी इस विषय को सीखना चाहते हैं तो तुरंत संपर्क करें।
बेसिक आयुर्वेदा के साथ विशेष रोग परीक्षण करने वाला नाडी़ परीक्षण विधि को सीखना चाहने वाले तुरंत संपर्क करें।
www. Ayushyogi.com
8699175212
CHARAK MAHAKASHAYA's
Explore an in-depth research paper on A…
Telepathy क्या होता है इस विषय में अधिक…
Top-Rated Ayurveda Doctor Near Me in Ja…
यदि आप भी भारत सरकार Skill India nsdc द…
Ayurveda Marma therapy is for balancing…
Panchakarma treatment के विषय में आज हम…
Non-BAMS students who have been working…
Ayurveda Beginners को आयुर्वेदिक विषय स…
Blood pressure जड् से खत्म होगा यदि आप …
Ayurveda online course के बारे में सोच …
Nadi Vaidya बनकर समाज में नाड़ी परीक्षण…
tapyadi loha : ताप्यादि लोह मेरा सबसे प…
Bnys (bachelor of naturopathy and yogic…
Semicarpol या Semecarpus anacardium इस …
Explore the pulse diagnosis devic…
Sinusitis is a condition in which there…
At [Ayushyogi], we believe in the trans…
मिर्गी के रोगियों को परहेज के लिए इन वि…
चरक संहिता के अनुसार आयुर्वेदिक आवरण के…
Pitta Dosa is a term used in Ayurveda t…
Epilepsy is a chronic neurological diso…
Nadi pariksha:-Guru Dronacharya ji, who…
Easy way to understand Ayurvedic slokas…
alopecia areata treatment in Hindi इन्द…
100 Epilepsy patient के ऊपर आयुर्वेदिक …
how nature affects herbs: deep relation…
If a Yoga teacher also studies Ayurveda…
Dashmularishta के अनेक फायदे आपने जरूर …
Ayurveda online course for beginners. A…
there are three doshas, Kapha, Pitta, a…
Nabaz Dekhne ka Tarika सीखने के लिए आपक…
Ayurvedic Dietician की मांग दुनिया में …
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को हिंदू धर्मावलं…
Indian Famous Nadi Vaidya was asked abo…
Medical astrology online course:- Do yo…
Nadi vaidya Certificate Course in Nepal…
Epilepsy Treatment संभव है। Epilepsy जि…
Mirgi ka dora:-अपस्मार चिकित्सा विधि &b…
Prakriti pariksha आयुर्वेद का महत्वपूर्…
CCAT Course (Certificate course in Ayur…
Rakta Mokshan:- Rakta mokshna चिकि…
50th,Charakokta Mahakashaya Articles 50…
Advance Nadi Pariksha Course सीखने के इ…
Diabetes Mellitus मधुमेह और प्रमेह क्या…
सभी रोगों का नामाकरण करना सम्भव नहीं हो…
Pulse diagnosis course:-To learn …
About:- pulse diagnosis course:- p…
Swedopag mahakashaya स्…
स्नेहोपग महाकषाय 50 महाकषाय मध्ये सवसे …
Dhatu Bikar विकारो धातुवैषम्यम्: &…
Shukrajanan Mahakasaya शुक्र…
Stanyajanana Rasayanam चरक संहिता…
Vishaghna Mahakashaya:- विषघ्न महाकषाय …
50th'Charak Mahakasaya;- इस आर्टिकल…
Kanthya Mahakashaya:- कण्ठ्य महाकषाय क्…
What is Balya Mahakashaya:-बल्य महाकषाय…
Deepaniya Mahakashaya:- दीपनीय महाकषाय …
Doot Nadi Pariksha दूत नाड़ी परीक्षण वि…
Sandhaniya Mahakashaya संधानीय महाकषाय,…
Bhedaneeya mahakasaya भेदनीय महाकषाय ले…
मिर्गी का अचूक इलाज के साथ Mirgi ke tot…
Lekhaniya Mahakashaya कफ के परमाणुओं को…
Jivniya Mahakashaya जीवनीय महाकाय …
Nadi parikcha Book Pdf: pulse dia…
Mirgi ka ilaj आयुर्वेद से करें।ऑपरेशन भ…
Panchkarm Vamana therapy आयुर्वेदिक चिक…
Indigestion Causes समय से पहले भोज…
Nadi Pariksha course:- Ayushyogi …
आइए rabies क्या है | इसका कारण लक…
Diploma in Naturopathy and Yogic Scienc…
Vedic Medical astrology द्वारा हम कैसे …
Feeble lung pulse को आयुर्वेद में कमजोर…
जब हम किसी सद्गुरु के चरणों में सरणापन…
New born baby massage oil बनाने और अलग-…
mirgi ke rogi: मिर्गी के रोगियों क…
अगस्ति या अगस्त्य (वैज्ञानिक नाम: Sesba…
भोजन के चरण बद्ध पाचन के लिए जो क्रम आय…
malkangani क्या है:- what is jyot…
अपने हेतुओं से उत्पन्न दोष या व्याधि को…
चरक संहिता को महर्षि चरक ने संस्कृत भा…
अगर आप भी Nadi pariksha online course क…
Mirgi की आयुर्वेदिक दवा के रूप में प्…
आरोग्यवर्धिनी वटी: मांसवह स्रोतस और मेद…
Sitopaladi वात वाहिनी नाड़ियों पर…
अगर हम आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से दे…
Introduction
यदि चिकित्सक के पास…