Learn Ayurveda Pulse Diagnosis,Kaya Chikitsa,Medical Astrology And Other Lots Of Treditional Ayurvedic Information

Share

कफ के पाँच प्रकार, मार्गावरोध vs धातुक्षय की अवस्था का विश्लेषण, आधुनिक विज्ञान से संबंध |

Blog Pic

आयुर्वेद के अनुसार शरीर के तीन प्रमुख दोष होते हैं — वात, पित्त और कफ।
इनमें से कफ दोष शरीर में स्थिरता, स्निग्धता, शीतलता, और पोषण बनाए रखता है, जबकि वात दोष गति और नियंत्रण का प्रमुख कारक है।

कफ का साम्यावस्था 
स्नेहो बन्धः स्थिरत्वं च गौरवं वृषता वलम्।
क्षमा धृतिरलोभश्च कफकर्माविकारजम्।।

कफ दोष के कारण शरीर में स्नेह (चिकनाई और कोमलता), बन्ध (अवयवों का आपसी संयोग), स्थिरता (स्थैर्य), गौरव (गंभीरता या भार), वृषता (पौरुष शक्ति), बल (शारीरिक बल), क्षमा (क्षमा करने की प्रवृत्ति), धृति (धैर्य और मानसिक स्थिरता) तथा अलोभ (लोभ रहित स्वभाव) जैसे गुण उत्पन्न होते हैं।

प्राकृतिक श्लेष्मा (कफ) – कार्य, स्थान और बल

प्राकृतिक कफ के कार्य:

  • संधियों को मजबूत बनाए रखना और जोड़ो को बांधे रखना

  • शरीर को स्थिर बनाए रखना

  • शरीर की स्वाभाविक गुरुत्व (Gurutva), वृषता (Vrushtata / पौरुष शक्ति), बल (Bala), धैर्य (Dhriti), क्षमा (Kshama) और निर्लोभीपन (Nirlobha) बनाए रखना

कफ का स्थान (कफस्य स्थानम्):

  • छाती (उरः)

  • सिर (शिरः)

  • गर्दन और कंधे (ग्रीवा, जैसे frozen shoulder)

  • जोड़ (पर्व)

  • आमाशय (अमाशय)

  • वसा या चरबी (मेद)

विशेष रूप से: छाती क्षेत्र कफ का प्रमुख स्थान है।

प्राकृतिक और विकृत कफ:

  • प्राकृतिक कफ को वलं कहा जाता है – संतुलित और कार्यशील

  • विकृत या असंतुलित कफ को मल कहा जाता है, जो रोग उत्पन्न कर सकता है

बल का प्रकार (त्रिविधं बलम्):

  1. सहज बल : जन्मजात, शरीर और मन की प्रकृति के अनुसार

  2. कालज बल : उम्र और ऋतु के अनुसार 

  3. युक्तिकृत बल : आहार, गतिविधि और जीवनशैली से प्राप्त

कफ असंतुलन:
जब कफ या वात किसी क्षेत्र में असंतुलित हो जाते हैं, तो वहाँ पाए जाने वाले कफ उप प्रकार (जैसे श्लेषक, तर्पक, क्लेदक आदि) के कार्य में गड़बड़ी आती है, और इससे विभिन्न रोग उत्पन्न हो सकते हैं।

Ayurvedic Name Location Modern Equivalent Function
Shleshaka Kapha Joints Synovial Fluid Lubricates joints
Tarpaka Kapha Brain & Spinal Cord Cerebrospinal Fluid (CSF) & Proteolipids Nourishes brain cells, maintains calmness
Bodhaka Kapha Mouth & Tongue Saliva Helps in taste perception & digestion
Kledaka Kapha Stomach Mucus Protects the gastric wall from acid
Avalambaka Kapha Heart & Lungs Pericardial & Pleural Fluid Supports heart & lungs, provides stability

 

1. श्लेषक कफ  – Synovial Fluid

स्थान: संधियाँ (Joints)
आधुनिक समानता: Synovial Fluid

   सामान्य कार्य:

  • जोड़ों को चिकनाई देना

  • घर्षण से सुरक्षा

  • गति में लचीलापन बनाए रखना


  वात वृद्धि में लक्षण (Deficiency of Synovial Fluid):

  • जोड़ों में शुष्कता

  • कटकटकाहट या crepitus sound

  • दर्द, stiffness, और चलने में कठिनाई

  • शरीर में हल्कापन और दुर्बलता

  कफ वृद्धि में लक्षण (Excess Synovial Fluid):

  • जोड़ों में सूजन

  • भारीपन और motion में stiffness

  • ठंड में दर्द बढ़ना

  • Amavata (Rheumatoid arthritis) जैसे लक्षण

   Modern Medicine के अनुसार:

  • Synovial Fluid कम → Osteoarthritis

  • Synovial Fluid अधिक → Joint effusion, Synovitis, Rheumatoid arthritis

   आयुर्वेदिक चिकित्सा:

  • वात वृद्धि में — स्नेहपान, अभ्यंग, स्वेदन, बस्ती कर्म

    • औषधियाँ: महा नारायण तेल, दशमूल घृत, योगराज गुग्गुलु

  • कफ वृद्धि में — वमन, विरेचन, लघु आहार, कफहर काढ़े

    • औषधियाँ: रस्नादि काढ़ा, त्रिकटु चूर्ण, पिप्पली


2. तर्पक कफ – Cerebrospinal Fluid (CSF) और Proteolipids

आयुर्वेदिक दृष्टि से मस्तिष्क जलीय द्रव (मस्तिष्क मेरु द्रव) कहा जा सकता है। यह द्रव मस्तिष्क और मेरुदंड (spinal cord) के चारों ओर बहता है और उसे पोषण, सुरक्षा और शीतलता प्रदान करता है।इस अवस्था को "शोष" या "धातु क्षय" के रूप में देखा जा सकता है, विशेषकर यह मज्जा धातु और ओज से जुड़ी होती है।
CSF का कार्य — मस्तिष्क को स्निग्धता, शीतलता और पोषण देना — मुख्यतः कफ दोष और मज्जा धातु का कार्य है।

 

– आधुनिक दृष्टि से

  • यह एक viscous (चिपचिपा) द्रव है जो synovial membrane से स्रावित होता है।

  • इसमें hyaluronic acid, lubricin, और albumin आदि होते हैं।

  • इसका मुख्य कार्य:

    • संधियों में चिकनाई बनाए रखना

    • घर्षण से सुरक्षा

    • cartilage को पोषण देना

स्थान: मस्तिष्क और मेरुदंड

   सामान्य कार्य:

  • मस्तिष्क को शीतलता, स्निग्धता और पोषण देना

  • नींद, स्मृति और भावनात्मक संतुलन बनाए रखना


   वात वृद्धि में लक्षण (Deficiency of CSF):

  • सिरदर्द, अनिद्रा, चक्कर

  • मानसिक थकान, भय, चिंता

  • स्मृति-भ्रंश (memory loss)

  • इंद्रिय ज्ञान में कमजोरी

संबंधित रोग:

  • Osteoarthritis

  • Cervical spondylosis

  • Knee pain (Sandhivata)

  • Dryness in joints

  • Parkinsonism

  • Multiple sclerosis

  • Vertigo

  • Anxiety neurosis

  • Migraine (Vata dominant)

   कफ वृद्धि में लक्षण (Excess CSF):

यह कफ दोष की वृद्धि या आवरोधक स्थिति को दर्शाता है।
CSF की अधिकता मस्तिष्क में दबाव उत्पन्न करती है — जिसे आधुनिक चिकित्सा में Hydrocephalus कहा जाता है।

  • सिर में भारीपन

  • अत्यधिक नींद, मानसिक जड़ता

  • आलस्य, उत्साहहीनता

संबंधित रोग:

  • Rheumatoid arthritis (Amavata)

  • Synovitis

  • Joint effusion (Fluid accumulation in joint cavity)

  • Hydrocephalus (मस्तिष्क में जल)

  • Brain edema

  • Intracranial hypertension

  • Dullness, memory loss

    Modern Medicine के अनुसार:

  • CSF कम → Neurological fatigue, Depression, Brain dehydration

  • CSF अधिक → Hydrocephalus, Intracranial pressure, Brain edema

   

यदि CSF कम है (Vata वृद्धि):

  • स्नेहपान (घृत सेवन) — ब्राह्मीघृत,

  • नस्य कर्म — शंखपुष्पी तेल, घृत कुंभी

  • शिरोधारा / शिरोअभ्यंग — ब्राह्मी तेल, नीलबृंहादि तेल

  • आहार: दूध, घृत, बादाम, खजूर, त्रिफला घृत

यदि CSF अधिक है (कफ वृद्धि):

  • वमन या नस्य — कफ शमन हेतु

  • लघु आहार: यव, कुलथ, त्रिकटु, पिप्पली

  • काढ़े: दंती, चित्रक, पिप्पली

  • पंचकर्म: नस्य, विरेचन, शिरोधारा विद् तिक्त द्रव्य


   3. वोधक कफ  – लार Saliva

स्थान: मुख और जीभ
आधुनिक समानता: Saliva (Salivary Secretion)

  • परिभाषा: वोधक कफ शरीर में वह प्रकार का कफ है जो मुख में नमी बनाए रखने, भोजन को नरम करने और पाचन की शुरुआत करने का कार्य करता है।

  • स्थान: मुख और जीभ

  • कार्य:

    1. भोजन को गीला करके निगलने में आसानी करना

    2. पाचन की प्रक्रिया की शुरुआत करना (विशेष रूप से कार्बोहाइड्रेट का पाचन)

    3. दांतों, मसूड़ों और मुख की श्लेष्म झिल्ली की रक्षा करना

  • संबंधित धातु: मुख्यतः रस धातु और कफ

   सामान्य कार्य:

  • स्वाद की पहचान

  • भोजन का गीलापन

  • मुख की रक्षा


  वात वृद्धि में लक्षण:

  • मुख-शोष (dry mouth)

  • स्वाद की कमी

  • निगलने में कठिनाई

  कफ वृद्धि में लक्षण:

  • अत्यधिक लार स्राव

  • मुख में चिकनापन

  • स्वाद मंद या भारी

  Modern Medicine के अनुसार:

  • Saliva कम Xerostomia (dry mouth), Oral infections

  • Saliva अधिक Sialorrhea, Hypersalivation

  आयुर्वेदिक चिकित्सा:

  • वात वृद्धि में — गंधुष, कवल, घृत सेवन, शतावरी, मुलेठी

  • कफ वृद्धि में — त्रिकटु चूर्ण, दंती काढ़ा, लघु आहार


  4. क्लेदक कफ  – Mucus of Stomach

स्थान: आमाशय (Stomach)
आधुनिक समानता: Gastric Mucus

   सामान्य कार्य:

  • भोजन को गीला रखना

  • अम्ल से सुरक्षा

  • पाचन की शुरुआत में सहायक


  वात वृद्धि में लक्षण:

  • भूख की कमी

  • गैस, डकार, पेट में शुष्कता

  • अपचन और दर्द

  • Peptic ulcer

  • Hyperacidity / Acid reflux

  • Indigestion

  • Stomach dryness

  • Dyspepsia

  कफ वृद्धि में लक्षण:

  • भारीपन, आलस्य

  • अत्यधिक बलगम, खट्टी डकारें

  • मन्दाग्नि (slow digestion)

  • Gastritis

  • Gastroesophageal reflux disease (GERD)

  • Nausea

  • Vomiting

  • Bloating

   Modern Medicine के अनुसार:

  • Mucus कम → Gastritis, Peptic ulcer

  • Mucus अधिक → Acid reflux, Indigestion, Bloating

 आयुर्वेदिक चिकित्सा:

  • वात वृद्धि में — घृत सेवन, हिंग्वाष्टक चूर्ण, अजवाइन जल

  • कफ वृद्धि में — लघु आहार, पाचन औषधियाँ, त्रिफला चूर्ण, पिप्पली


  5. अवलम्बक कफ (Avalambaka Kapha) – Pericardial & Pleural Fluid

स्थान: हृदय, फेफड़े और पीठ क्षेत्र
आधुनिक समानता: Pericardial Fluid, Pleural Fluid

   सामान्य कार्य:

  • हृदय और फेफड़ों को स्थिरता देना

  • अन्य कफों को सहारा देना

  • श्वसन और रक्तसंचार में मदद करना


  वात वृद्धि में लक्षण:

  • धड़कन का असंतुलन

  • सांस लेने में कठिनाई

  • हृदय में कमजोरी, चिंता

  कफ वृद्धि में लक्षण:

  • छाती में भारीपन

  • खांसी, कफ का जमाव

  • हृदय के चारों ओर सूजन (Pericardial effusion)

  Modern Medicine के अनुसार:

  • Fluid कम → Pericarditis dryness, Chest tightness

  • Fluid अधिक → Pleural effusion, Pericardial effusion, Congestion

   आयुर्वेदिक चिकित्सा:

  • वात वृद्धि में — हृदय बल्य औषधियाँ: अर्जुनारिष्ट, अश्वगंधा, द्राक्षा रस

  • कफ वृद्धि में — वमन, व्यायाम, हल्का आहार, कफहर काढ़े (त्रिकटु, तुलसी, पिप्पली)


   Conclusion

वात वृद्धि से जहाँ शरीर में शुष्कता, कठोरता, दर्द और कमजोरी आती है, वहीं कफ वृद्धि से स्थिरता के स्थान पर जड़ता, भारीपन और सूजन आती है।
आधुनिक विज्ञान इन अवस्थाओं को Synovial Fluid imbalance, CSF disorders, Mucosal changes, Pleural effusion के रूप में पहचानता है।
आयुर्वेद में पंचकर्म, स्नेहपान, वमन, विरेचन और संतुलित आहार-विहार से इन सभी अवस्थाओं को स्वाभाविक रूप से संतुलित किया जा सकता है।

Daivavyapashraya Chikitsa for Epilepsy, Schizophrenia, and Autism when MRI/CT Reports are Normal – By Vaidya Dronacharya Ji

आजकल बहुत से मरीज़ ऐसे मिलते हैं जिन्हे…

Ayurvedic Treatment for Mental Illness (Unmad): Causes, Symptoms & Therapy

आयुर्वेद में Mental Illnessउन्म…

शिवा शक्ति चूर्ण के प्रमुख लाभ | Benefits of Shiva Shakti Churna

शिवा शक्ति चूर्ण एक आयुर्वेदिक दवा है ज…

Jatharagni: The True Source of Energy and Health | An Ayurvedic Perspective

आयुर्वेद में jatharagni : "जठराग्न…

विरेचन कर्म की सम्पूर्ण विधि: virechan treatment in hindi

घर में ही रहकर संपूर्ण पंचकर्म विधि से …

Telepathy Kya Hota Hai? | Ayushyogi Online Telepathy Master Course

Telepathy क्या होता है इस विषय में अधिक…

India's Best One Year Ayurveda Online Certificate Course for Vaidhyas

यदि आप भी भारत सरकार Skill India nsdc द…

The Beginner's Guide to Ayurveda: Basics Understanding I Introduction to Ayurveda

Ayurveda Beginners को आयुर्वेदिक विषय स…

Ayurveda online course | free Ayurveda training program for beginner

Ayurveda online course के बारे में सोच …

Nadi Vaidya online workshop 41 days course  brochure । pulse diagnosis - Ayushyogi

Nadi Vaidya बनकर समाज में नाड़ी परीक्षण…

आयुर्वेद और आवरण | Charak Samhita on the importance of Aavaran in Ayurveda.

चरक संहिता के अनुसार आयुर्वेदिक आवरण के…

स्नेहोपग महाकषाय | Snehopag Mahakashay use in joint replacement

स्नेहोपग महाकषाय 50 महाकषाय मध्ये सवसे …

Varnya Mahakashaya & Skin Problem | natural glowing skin।

Varnya Mahakashaya वर्ण्य महाकषाय से सं…

Colon organ pulse Diagnosis easy way | How to diagnosis feeble colon pulse in hindi |

जब हम किसी सद्गुरु के चरणों में सरणापन…

Pure honey: शुद्ध शहद की पहचान और नकली शहद बनाने का तरीका

हम आपको शुद्ध शहद के आयुर्वेदिक गुणधर्म…