आयुर्वेद के अनुसार शरीर के तीन प्रमुख दोष होते हैं — वात, पित्त और कफ।
इनमें से कफ दोष शरीर में स्थिरता, स्निग्धता, शीतलता, और पोषण बनाए रखता है, जबकि वात दोष गति और नियंत्रण का प्रमुख कारक है।
कफ का साम्यावस्था
स्नेहो बन्धः स्थिरत्वं च गौरवं वृषता वलम्।
क्षमा धृतिरलोभश्च कफकर्माविकारजम्।।
कफ दोष के कारण शरीर में स्नेह (चिकनाई और कोमलता), बन्ध (अवयवों का आपसी संयोग), स्थिरता (स्थैर्य), गौरव (गंभीरता या भार), वृषता (पौरुष शक्ति), बल (शारीरिक बल), क्षमा (क्षमा करने की प्रवृत्ति), धृति (धैर्य और मानसिक स्थिरता) तथा अलोभ (लोभ रहित स्वभाव) जैसे गुण उत्पन्न होते हैं।
प्राकृतिक कफ के कार्य:
संधियों को मजबूत बनाए रखना और जोड़ो को बांधे रखना
शरीर को स्थिर बनाए रखना
शरीर की स्वाभाविक गुरुत्व (Gurutva), वृषता (Vrushtata / पौरुष शक्ति), बल (Bala), धैर्य (Dhriti), क्षमा (Kshama) और निर्लोभीपन (Nirlobha) बनाए रखना
कफ का स्थान (कफस्य स्थानम्):
छाती (उरः)
सिर (शिरः)
गर्दन और कंधे (ग्रीवा, जैसे frozen shoulder)
जोड़ (पर्व)
आमाशय (अमाशय)
वसा या चरबी (मेद)
विशेष रूप से: छाती क्षेत्र कफ का प्रमुख स्थान है।
प्राकृतिक और विकृत कफ:
प्राकृतिक कफ को वलं कहा जाता है – संतुलित और कार्यशील
विकृत या असंतुलित कफ को मल कहा जाता है, जो रोग उत्पन्न कर सकता है
बल का प्रकार (त्रिविधं बलम्):
सहज बल : जन्मजात, शरीर और मन की प्रकृति के अनुसार
कालज बल : उम्र और ऋतु के अनुसार
युक्तिकृत बल : आहार, गतिविधि और जीवनशैली से प्राप्त
कफ असंतुलन:
जब कफ या वात किसी क्षेत्र में असंतुलित हो जाते हैं, तो वहाँ पाए जाने वाले कफ उप प्रकार (जैसे श्लेषक, तर्पक, क्लेदक आदि) के कार्य में गड़बड़ी आती है, और इससे विभिन्न रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
Ayurvedic Name | Location | Modern Equivalent | Function |
---|---|---|---|
Shleshaka Kapha | Joints | Synovial Fluid | Lubricates joints |
Tarpaka Kapha | Brain & Spinal Cord | Cerebrospinal Fluid (CSF) & Proteolipids | Nourishes brain cells, maintains calmness |
Bodhaka Kapha | Mouth & Tongue | Saliva | Helps in taste perception & digestion |
Kledaka Kapha | Stomach | Mucus | Protects the gastric wall from acid |
Avalambaka Kapha | Heart & Lungs | Pericardial & Pleural Fluid | Supports heart & lungs, provides stability |
स्थान: संधियाँ (Joints)
आधुनिक समानता: Synovial Fluid
जोड़ों को चिकनाई देना
घर्षण से सुरक्षा
गति में लचीलापन बनाए रखना
जोड़ों में शुष्कता
कटकटकाहट या crepitus sound
दर्द, stiffness, और चलने में कठिनाई
शरीर में हल्कापन और दुर्बलता
जोड़ों में सूजन
भारीपन और motion में stiffness
ठंड में दर्द बढ़ना
Amavata (Rheumatoid arthritis) जैसे लक्षण
Synovial Fluid कम → Osteoarthritis
Synovial Fluid अधिक → Joint effusion, Synovitis, Rheumatoid arthritis
वात वृद्धि में — स्नेहपान, अभ्यंग, स्वेदन, बस्ती कर्म
औषधियाँ: महा नारायण तेल, दशमूल घृत, योगराज गुग्गुलु
कफ वृद्धि में — वमन, विरेचन, लघु आहार, कफहर काढ़े
औषधियाँ: रस्नादि काढ़ा, त्रिकटु चूर्ण, पिप्पली
आयुर्वेदिक दृष्टि से मस्तिष्क जलीय द्रव (मस्तिष्क मेरु द्रव) कहा जा सकता है। यह द्रव मस्तिष्क और मेरुदंड (spinal cord) के चारों ओर बहता है और उसे पोषण, सुरक्षा और शीतलता प्रदान करता है।इस अवस्था को "शोष" या "धातु क्षय" के रूप में देखा जा सकता है, विशेषकर यह मज्जा धातु और ओज से जुड़ी होती है।
CSF का कार्य — मस्तिष्क को स्निग्धता, शीतलता और पोषण देना — मुख्यतः कफ दोष और मज्जा धातु का कार्य है।
यह एक viscous (चिपचिपा) द्रव है जो synovial membrane से स्रावित होता है।
इसमें hyaluronic acid, lubricin, और albumin आदि होते हैं।
इसका मुख्य कार्य:
संधियों में चिकनाई बनाए रखना
घर्षण से सुरक्षा
cartilage को पोषण देना
स्थान: मस्तिष्क और मेरुदंड
मस्तिष्क को शीतलता, स्निग्धता और पोषण देना
नींद, स्मृति और भावनात्मक संतुलन बनाए रखना
सिरदर्द, अनिद्रा, चक्कर
मानसिक थकान, भय, चिंता
स्मृति-भ्रंश (memory loss)
इंद्रिय ज्ञान में कमजोरी
Osteoarthritis
Cervical spondylosis
Knee pain (Sandhivata)
Dryness in joints
Parkinsonism
Multiple sclerosis
Vertigo
Anxiety neurosis
Migraine (Vata dominant)
यह कफ दोष की वृद्धि या आवरोधक स्थिति को दर्शाता है।
CSF की अधिकता मस्तिष्क में दबाव उत्पन्न करती है — जिसे आधुनिक चिकित्सा में Hydrocephalus कहा जाता है।
सिर में भारीपन
अत्यधिक नींद, मानसिक जड़ता
आलस्य, उत्साहहीनता
Rheumatoid arthritis (Amavata)
Synovitis
Joint effusion (Fluid accumulation in joint cavity)
Hydrocephalus (मस्तिष्क में जल)
Brain edema
Intracranial hypertension
Dullness, memory loss
CSF कम → Neurological fatigue, Depression, Brain dehydration
CSF अधिक → Hydrocephalus, Intracranial pressure, Brain edema
स्नेहपान (घृत सेवन) — ब्राह्मीघृत,
नस्य कर्म — शंखपुष्पी तेल, घृत कुंभी
शिरोधारा / शिरोअभ्यंग — ब्राह्मी तेल, नीलबृंहादि तेल
आहार: दूध, घृत, बादाम, खजूर, त्रिफला घृत
वमन या नस्य — कफ शमन हेतु
लघु आहार: यव, कुलथ, त्रिकटु, पिप्पली
काढ़े: दंती, चित्रक, पिप्पली
पंचकर्म: नस्य, विरेचन, शिरोधारा विद् तिक्त द्रव्य
स्थान: मुख और जीभ
आधुनिक समानता: Saliva (Salivary Secretion)
परिभाषा: वोधक कफ शरीर में वह प्रकार का कफ है जो मुख में नमी बनाए रखने, भोजन को नरम करने और पाचन की शुरुआत करने का कार्य करता है।
स्थान: मुख और जीभ
कार्य:
भोजन को गीला करके निगलने में आसानी करना
पाचन की प्रक्रिया की शुरुआत करना (विशेष रूप से कार्बोहाइड्रेट का पाचन)
दांतों, मसूड़ों और मुख की श्लेष्म झिल्ली की रक्षा करना
संबंधित धातु: मुख्यतः रस धातु और कफ
स्वाद की पहचान
भोजन का गीलापन
मुख की रक्षा
मुख-शोष (dry mouth)
स्वाद की कमी
निगलने में कठिनाई
अत्यधिक लार स्राव
मुख में चिकनापन
स्वाद मंद या भारी
Saliva कम → Xerostomia (dry mouth), Oral infections
Saliva अधिक → Sialorrhea, Hypersalivation
वात वृद्धि में — गंधुष, कवल, घृत सेवन, शतावरी, मुलेठी
कफ वृद्धि में — त्रिकटु चूर्ण, दंती काढ़ा, लघु आहार
स्थान: आमाशय (Stomach)
आधुनिक समानता: Gastric Mucus
भोजन को गीला रखना
अम्ल से सुरक्षा
पाचन की शुरुआत में सहायक
भूख की कमी
गैस, डकार, पेट में शुष्कता
अपचन और दर्द
Peptic ulcer
Hyperacidity / Acid reflux
Indigestion
Stomach dryness
Dyspepsia
भारीपन, आलस्य
अत्यधिक बलगम, खट्टी डकारें
मन्दाग्नि (slow digestion)
Gastritis
Gastroesophageal reflux disease (GERD)
Nausea
Vomiting
Bloating
Mucus कम → Gastritis, Peptic ulcer
Mucus अधिक → Acid reflux, Indigestion, Bloating
वात वृद्धि में — घृत सेवन, हिंग्वाष्टक चूर्ण, अजवाइन जल
कफ वृद्धि में — लघु आहार, पाचन औषधियाँ, त्रिफला चूर्ण, पिप्पली
स्थान: हृदय, फेफड़े और पीठ क्षेत्र
आधुनिक समानता: Pericardial Fluid, Pleural Fluid
हृदय और फेफड़ों को स्थिरता देना
अन्य कफों को सहारा देना
श्वसन और रक्तसंचार में मदद करना
धड़कन का असंतुलन
सांस लेने में कठिनाई
हृदय में कमजोरी, चिंता
छाती में भारीपन
खांसी, कफ का जमाव
हृदय के चारों ओर सूजन (Pericardial effusion)
Fluid कम → Pericarditis dryness, Chest tightness
Fluid अधिक → Pleural effusion, Pericardial effusion, Congestion
वात वृद्धि में — हृदय बल्य औषधियाँ: अर्जुनारिष्ट, अश्वगंधा, द्राक्षा रस
कफ वृद्धि में — वमन, व्यायाम, हल्का आहार, कफहर काढ़े (त्रिकटु, तुलसी, पिप्पली)
वात वृद्धि से जहाँ शरीर में शुष्कता, कठोरता, दर्द और कमजोरी आती है, वहीं कफ वृद्धि से स्थिरता के स्थान पर जड़ता, भारीपन और सूजन आती है।
आधुनिक विज्ञान इन अवस्थाओं को Synovial Fluid imbalance, CSF disorders, Mucosal changes, Pleural effusion के रूप में पहचानता है।
आयुर्वेद में पंचकर्म, स्नेहपान, वमन, विरेचन और संतुलित आहार-विहार से इन सभी अवस्थाओं को स्वाभाविक रूप से संतुलित किया जा सकता है।
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