आज हम विस्तृत विधि से समझेंगे कि नाड़ी परीक्षण में रस धातु कैसे पहचानी जाती है, मार्गावरोध, संग और धातुक्षय के अवस्था में रस धातु की नाड़ी कैसा दिखता है उसका गुण अनुरूप लक्षण तथा आयुर्वेदिक चिकित्सा विचार के बारे में यहां हम चर्चा करेंगे। इसे आयुर्वेदिक व आधुनिक दृष्टि से Ayushyogi Nadi Pariksha Guide. सरल भाषा में समझें।
नीचे नाड़ी में रस-धातु परीक्षण, उसकी आयुर्वेदिक + आधुनिक व्याख्या, तथा कफ और वात के प्रभाव में नाड़ी का स्वरूप – सभी बिंदुओं को जोड़कर एक साफ, वैज्ञानिक और सरल भाषा में लिखा गया है:
स (रस) हृदयात् चतुर्विंशतिधमनीरनुप्रविश्योर्ध्वगा दश दशाघोगामिन्य श्रतस्त्रश्च तिर्यग्गाः कृत्स्नं शरीरमहरहस्तर्पयति वर्द्धयति धारयति यापयति चादृष्टहेतुकेन कर्मणा' ।
वह रस हृदय से चौबीस धमनियों (दस ऊपर जाने वाली, दस नीचे जाने वाली एवं चार तिर्यक् जाने वाली धमनियों) में प्रविष्ट होकर सम्पूर्ण शरीर को निरन्तर पोषक सामग्री पहुँचाता है शरीर की वृद्धि करता है, धारण करता है और क्षतिपूर्ति करता है। सभी कार्यों में पूर्व जन्म का अदृष्ट कारण होता है।
उद्गम स्थान - रस धातु हृदय से निकलकर 10 प्रमुख धमनियों में संचरित होता है।
कार्य - यह धातु पोषक, स्निग्ध, जीवनधारक और संपूर्ण शरीर में ऊर्जा व पोषण पहुँचाने का कार्य करती है।
जब गुरु, स्निग्ध, शीत प्रकृति वाले कारक बढ़ जाते हैं—
अत्यधिक भोजन
बार-बार भोजन
अति चिन्तन
आलस्य, तन्द्रा
तब रस धातु की गुणात्मक विकृति होती है।
इसके कारण नाड़ी में रस धातु का दोषयुक्त स्वरूप प्रकट होता है।
भोजन में अरुचि (Taste loss)
अश्रद्धा (खाने की इच्छा न होना)
अरसज्ञता (रुचि न लगना)
हृल्लास (nausea)
गौरव (Heaviness)
तन्द्रा (Drowsiness)
अंगमर्द (Body ache)
ज्वर
तमः प्रवेश (Confusion/heaviness in head)
पाण्डुता (Paleness)
स्रोतोरोध (Channel obstruction)
क्लैव्य (Lack of enthusiasm/sexual weakness)
अग्निमांद्य
शरीर का हल्का सूखापन या कृशता
रस धातु की विकृति को आधुनिक भाषा में समझें तो:
यह lymph–plasma imbalance,
poor digestion,
slow metabolism,
low tissue perfusion,
micronutrient deficiency
के रूप में दिख सकती है।
इससे
Loss of appetite
Weakness
Indigestion
Pale skin
Low energy
Fluid stagnation
जैसे लक्षण मिलते हैं।
नाड़ी में madhyama-gati,
mridu (soft),
snigdha (unctuous) अनुभव होता है।
यह बताता है कि शरीर में पोषण, जल-तत्व और प्लाज़्मा प्रसारण सामान्य है।
जब रस धातु पर कफ का प्रभाव होता है, तो नाड़ी में—
गुरु (heavy)
स्थिर (steady)
मन्द (slow)
मृदु (soft)
अलस तत्त्व
अनुभव होता है। यह वैसा ही है जैसे कफ वृद्धि में metabolic rate धीमा हो जाता है।
Sluggish blood flow
Lymph stagnation
Slow metabolism
High mucus production
Kapha-dominant physiology
नाड़ी भारी, धीमी और स्थिर महसूस होती है।
रस धातु क्षय होने पर वात का प्रभाव बढ़ता है। तब नाड़ी हल्की, तेज, सूक्ष्म हो जाती है। { नाड़ी में यह लघु तिक्ष्ण और सूक्ष्म गति को समझने के लिए ayushyogi online pulse diagnosis beginner class में join होकर विधिपूर्वक इन गतियों को समझा जा सकते हैं }
लघु (light)
चल (mobile / unstable)
सूक्ष्म (thin, subtle)
तीव्र या अनियमित गति
कभी तेज तो कभी धीमी
Dehydration
Low plasma volume
Low nutrition
Sympathetic hyperactivity
Tachycardia feels in the pulse
इसे चिकित्सक सतर्कता से पहचानते हैं क्योंकि यह शरीर की foundational nutrition layer (rasa) के कमज़ोर होने को दिखाता है।
1. कफ अधिक → जब रस धातु में कफ का प्रभाव होता है तो कुछ इस प्रकार का लक्षण दिखता है
कफ के कुछ गुण जैसे नाड़ी गुरु, मन्द, स्थिर दिखे तो इस प्रकार के रोग हो सकता है।
कारण: भारी भोजन, भावनात्मक तनाव, अग्नि-मांद्य।
आधुनिक दृष्टि: रक्त परिसंचरण धीमा होना, शरीर में द्रव (fluid) का रुकना।
नाड़ी लघु, चल, सूक्ष्म।
कारण: पोषण की कमी, अत्यधिक कार्य, शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन)।
आधुनिक दृष्टि: प्लाज़्मा की मात्रा कम होना, अत्यधिक sympathetic nervous system की सक्रियता (hyper-sympathetic activity)।
रस-वृद्धि: भारीपन, मतली, स्वाद में परिवर्तन
रस-क्षय: कमजोरी, शुष्कता, पीलापन, घबराहट
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